प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। भगवान से कुछ मांगने की इच्छा लेकर श्रद्धालू मंदिर जाते हैं। यदि हम भगवान से कुछ मांगने के बदले यदि भगवान को ही मांग ले तो संसार मे जीना ही धन्य हो जायेगा।
उक्त बाते अयोध्या धाम से पधारी मानस मंजरी शांति श्रेया ने कही। वे बीते 20 मार्च को बोकारो जिला के हद में पेटरवार प्रखंड के अंगवाली मे आयोजित श्रीरामचरित मानस महायज्ञ के दूसरे रात्रि कथा-वाचन के दौरान् भगवान श्रीराम के अवतरण के कारणों पर व्याख्यान कर रही थी। उन्होंने कहा कि एक बार स्वयंभु राजा मनु-सतरुपा ने बेटे को राजगद्दी की जिम्मेवारी देकर भगवान श्रीहरि के ध्यान मे लीन हो गये। जब खुश होकर श्रीहरि वरदान मांगने को कहा तो दोनो ने उन्हे ही बेटे के रूप मे मांग लिया। श्रीहरि अपने सातवे अवतार में मनु-सदरूपा जो राजा दशरथ व कौशल्या के यहाँ श्रीराम बनकर अवतरण लिए।
कहने का भाव यह कि श्रद्धालू यदि अंतरात्मा से ईश्वर की आराधना करे तो जीवन सार्थक हो जायेगा। मिर्जापुर यूपी से आये मानस मार्मज्ञ धर्मराज शास्त्री ने प्रवचन के क्रम में नारद मोह कथा की बेवाक विश्लेषण किया। कहा कि भगवान विष्णु द्वारा मोहिनी वेश धारण करना, नारद स्वयं के वानर रूप को देख विष्णु को श्राप दिया कि यही वानर की सहयता आपको लेनी पड़ेगी। प्रभु श्रीराम के धरती पर अवतार लेने का यह भी कारण है।
आयोजन के तीसरे दिन 21 मार्च को मानस पाठ की जनकपुर मे राम-सीता विवाह प्रसंग के दौरान दोपहर को व्यास मंच के निकट पाठकी बालाओं ने अवीर खेले। वर्षा के कारण प्रातः परिक्रमा करने मे विघ्न अवश्य पड़ा। विंद्याचल से आये इंद्रेश शास्त्री ने भी अपने उदबोधन से श्रोताओं को भगवत भक्ति की कथा सुनाई। संस्थापक गौर बाबा, मंच संचालक संतोष नायक व् समिति के अध्यक्ष सहित अन्य डटे रहे।
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