पुलिस व्यवस्था के बीच रेलवे द्वारा पीआर कॉलेज का आधा दर्जन कमरा सील

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित पी.आर.कॉलेज के आधा दर्जन से अधिक कमरों को सोनपुर रेल मंडल प्रशासन ने स्थानीय पुलिस प्रशासन के सहयोग से 18 मार्च की शाम सील कर दिया। पूर्व में रेलवे प्रशासन ने कॉलेज प्रशासन को उक्त भवन खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया था। बार -बार अल्टीमेटम को कॉलेज प्रशासन द्वारा नजरंदाज करने पर रेल प्रशासन ने उपरोक्त कार्रवाई की है।

बताया जाता है कि कॉलेज प्रशासन वर्तमान भूमि और भवन में ही कॉलेज संचालित करने पर अड़ा था। रेल प्रशासन ने कॉलेज संचालित करने के लिए सोनपुर रेलवे स्टेशन से पश्चिम सड़क किनारे जमीन भी दी थी। कुछ विभागों की कक्षाओं का संचालन भी होने लगा था। बाद में उसे बंद कर दिया गया। मामला कोर्ट तक पहुंचा और अंत में कॉलेज के कमरों को सील करने तक बात पहुंच गई। हालांकि, रेल प्रशासन ने निकट भविष्य में छात्र – छात्राओं की परीक्षा को देखते हुए कॉलेज के मुख्य द्वार एवं कई अन्य कमरों को सील नहीं किया है।

विदित हो कि वर्ष 1978 में जनता पार्टी सरकार के तत्कालीन रेल मंत्री मधु दंडवते ने पूर्वोत्तर रेलवे महाविद्यालय सोनपुर का उद्घाटन किया था। यह कॉलेज इस क्षेत्र का इकलौता स्नातक स्तरीय उच्च शिक्षण संस्थान है, जो हजारों छात्र-छात्राओं के भविष्य को बनाने का काम करता रहा है। आज उसका खुद का भविष्य अनिश्चित हो गया है। इसके लिए कॉलेज प्रशासन स्वयं जिम्मेवार है। कॉलेज में गुटबंदी, प्राचार्य पद के लिए लामबंदी आदि का खामियाजा भी इस कॉलेज और उसमें पढ़नेवाले छात्र -छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है।

यह और बात है कि परीक्षा को देखते हुए रेल प्रशासन ने थोड़ी सी हमदर्दी छात्र-छात्राओं के साथ दिखाते हुए आधा से अधिक कमरों को सील नहीं किया। कमरों को सील करने के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ रेलवे के पदाधिकारीगण मौजूद रहे। इस दौरान रेलवे के पदाधिकारी घूम-घूमकर एक-एक कमरों को देखा और कई कमरों में ताले लगाकर सील कर दिए। सील होते देख रेलवे कॉलेज के शिक्षकों में आक्रोश के साथ-साथ मायूसी भी देखा जा रहा था, लेकिन बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष पुलिस के जवान को देखते हुए कोई भी विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाया। जिसके कारण रेल प्रशासन पूरी तरह शांतिपूर्वक तरीके से कॉलेज को सील करने में सफल रहा।

इस दौरान कॉलेज कर्मी भी मौजूद रहते हुए भी विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाए। अब सवाल यह उठता है कि इस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के भविष्य का क्या होगा? कौन लेगा इसकी जिम्मेदारी? कहां पढ़ेंगे यहां के बच्चे? इन सब सवालों पर स्थानीय रहिवासियों के बीच देर शाम से चर्चा शुरू हो गई है।

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