एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड की राजधानी रांची से सटे नामकुम के जोरार की घटना निंदनीय है। सोनू मुंडा के हत्यारों को फांसी दो और मृतक के परिवार वालो को मुआवजा 50 लाख व् एक आश्रित को नौकरी दे हेमंत सोरेन सरकार।
उक्त बाते आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने 17 मार्च को प्रेस बयान जारी कर कहा। उन्होंने वर्तमान झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार पर बड़ा निशाना साधते हुए राज्य सरकार को आदिवासी मूलवासी विरोधी बताते हुए कहा कि होली के दिन जोरार नामकुम में हुई हिंसक घटना पुलिस प्रशासन की अक्षमता साबित करता है। मामले में प्रशासन ने गैर झारखंडी उपद्रवियों कि गिरफ्तारी कर सिर्फ आदिवासी मूलवासी का विश्वास जीतने का ढोंग रचने का प्रयास भर है।
पुलिस अगर मुस्तैद रहती तो यह घटना ही नहीं घटती। कहा कि रांची पुलिस अगर आदिवासी मूलवासी समाज का विश्वास जितना चाहती है तो इरादतन हत्या के आरोप में 302 के तहत सभी अपराधियों पर मुक़दमा दर्ज कर फास्ट ट्रैक कोर्ट में फांसी की सजा दिलाए। तब ही सोनू मुंडा को न्याय मिल सकता है। नायक ने कहा कि आदिवासी युवक की हत्या एवं हिंसक हमले पूर्व नियोजित योजना के तहत की गई है। राजद- कांग्रेस-झामुमो के शासन में आदिवासी मूलवासी समाज अगर अपने उत्पीड़न एवं शोषण का प्रतिरोध करता है, तो जैसे लगता है कोई अपराध कर दिया है।
यदि वे शोषण का विरोध करेंगें तो उन्हें दौड़ा दौड़ा कर गैर झारखंडीयों के द्वारा मारा एवं पीट पीट कर हत्या कर दिया जाएगा, जो राज्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। नायक ने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ही आज दिन दहाड़े आदिवासी युवाओ को दौड़ा दौड़ा कर पीट पीट कर हत्या की जा रहीं है। दूसरी ओर सिरम टोली के मुख्य द्वार पर फ्लाई ओवर से रैम्प हटाने के लिए आदिवासी समाज आंदोलनरत है, मगर आज तक सरकार धृतराष्ट्र की भूमिका निभाती रही है। आज हेमंत सरकार की आदिवासी मूलवासी विरोधी मानसिकता स्पष्ट नज़र आती है।
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