दलित और आदिवासी समाज की भावनाओं के साथ खेल रही है हेमंत सरकार-नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड के दलित और आदिवासी समाज के समस्याओं के समाधान पर रुचि नहीं दिखा कर उनके भावनाओं के साथ राज्य की हेमंत सोरेन सरकार खेल रही है। उपरोक्त बाते 7 मार्च को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने सिरम टोली के मुख्य द्वार पर फ्लाई ओवर से रैम्प हटाने की मांग को लेकर आदिवासी समाज द्वारा मानव श्रंखला बना कर आन्दोलन करने पर अपनी प्रतिक्रिया मे कही।

उन्होंने कहा कि सरकार के लिए यह शर्म की बात है कि आदिवासी समाज लगातार इस समस्या के समाधान को लेकर आन्दोलित है। कहा कि आन्दोलन का असर यह है कि मंत्री चमरा लिंडा एवं खिजरी विधायक राजेश कच्छप ने आन्दोलित आदिवासी समाज के बीच जाकर एवं उक्त स्थल का निरीक्षण भी किया। साथ ही साथ पथ निर्माण विभाग रांची प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को स्थल पर बुलाकर सब समझाया। इसके सामाधान का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि खुद मंत्री चमरा लिंडा और विधायक राजेश कच्छप ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर आदिवासी समाज की भावनाओ से अवगत करा कर बीते माह 24 फरवरी तक किसी भी कीमत में फ्लाई ओवर से रैम्प हटाने का आश्वासन दिया, जो अभी तक नहीं किया गया। जिससे यह साबित होता है कि वर्तमान सरकार को आदिवासी समाज की भावनाओं से कोई लेना देना नहीं है। जिसका परिणाम है कि सरकार के वादा खिलाफी के कारण आज पुनः आदिवासी समाज सड़क पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर हो गए है। उनके किए जा रहे सभी आन्दोलनों का आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच समर्थन करता है।

नायक ने कहा कि हेमंत सरकार ने अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद की तर्ज पर अनुसूचित जाति सलाहकार परिषद की स्थापना करने की घोषणा को मात्र दलित समाज के लिए मुंगरी लाल के हसीन सपनो की तरह बताया है। उन्होंने कहा कि आज चार वर्षो से झारखंड में अनुसूचित जाति आयोग का गठन हेमंत सरकार ने नही किया, रघुवर दास के कार्यकाल मे इसके प्रथम अध्यक्ष शिव पुजन राम को बनाया गया था।

इनके कार्यकाल के समाप्ति के बाद चार वर्षो से अध्यक्ष का पद खाली है, मगर इसके गठन की दिशा मे आज तक कोई कार्रवाई नही की गई। अब एक नया शिगूफा अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद के तर्ज पर अनुसूचित जाति सलाहकार परिषद का गठन करने का निर्णय सिर्फ दलित समाज का आईवाश करना भर है।

उन्होंने कहा कि आयोग का गठन नहीं होने से राज्य मे इन वर्गो का शोषण उत्पीड़न की घटनाओ में वृद्धि हुई है और इनका सभी क्षेत्रों मे विकास अवरुद्ध हुआ है। इन्हें न्याय से भी वंचित होना पर रहा है। नायक ने राज्य के मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा है कि वे दलित आदिवासी समाज की समस्याओ के समाधान में व्यक्तिगत रुचि लेने का कार्य कर उनकी समस्याओ का समाधान करे, नहीं तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

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