भाजपा व् आरएसएस षड्यंत्र कर सहिया संस्कृति को समाप्त करने में लगी-नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। भाजपा तथा आरएसएस झारखंड को साम्प्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने का षड्यंत्र कर राज्य में वर्षो से चली आ रहीं सहिया संस्कृति को समाप्त कर रही है। झारखंड के हजारीबाग और रामगढ़ की धरती को साम्प्रदायिक हिंसा का प्रयोगशाला बनाया जा रहा है।भाजपा एवं आरएसएस की साम्प्रदायिक नीतियों के कारण झारखंड में हिंसा बढ़ रही है।

उपरोक्त आरोप आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने हजारीबाग एवं रामगढ़ में साम्प्रदायिक हिंसा की घटना होने पर 28 फरवरी को अपनी प्रतिक्रिया में उक्त बाते कही। उन्होंने कहा कि सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा और आरएसएस नागपुर के इशारे पर वोटो का साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीतिक सोच का ही परिणाम हजारीबाग एवं रामगढ़ की साम्प्रदायिक घटना है।

नायक ने कहा कि भाजपा एवं आरएसएस विचारधारा साम्प्रदायिक घटना के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि यह हिंसा सिर्फ एक दिन की घटना नहीं है, बल्कि सत्ता से बाहर हो जाने पर भाजपा के तथाकथित वोटों की ध्रुवीकरण की राजनीतिक नीतियों और सोच का परिणाम है, जो धीरे-धीरे झारखंडी समाज एवं झारखंड की सहिया सांस्कृति को कमजोर कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह वोटों की ध्रुवीकरण की राजनीति जिसकी नींव आरएसएस/ हिन्दु महासभा ने स्वतंत्रता से पहले ही रख दी थी, अब झारखंड को इस नीति का प्रयोगशाला बनाया जा रहा है।

नायक ने आरोप लगाया कि भाजपा/आरएसएस की साम्प्रदायिक नीति के कारण ही आज विभिन्न जिलों में हिंसक घटनाऐं घट रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा द्वारा हिन्दुत्व के नाम पर वोट की राजनीति करना, अल्पसंख्यको को मोबलिंचिंग करने वालो को राजनीतिक संरक्षण देकर हजारीबाग के पूर्व सांसद द्वारा माला पहनाना, आदिवासीयों को जबरदस्ती हिन्दु बनाना, सरना कोड नही देना, साम्प्रदायिक विचार धारा वाले संगठनों का विस्तार करना, बड़े पैमाने पर आदिवासीयों को हिन्दु बनाकर धर्मांतरण को बढ़ावा देना इसी नीति का हिस्सा है।

नायक ने वर्ष 2022 में रांची में हुए दंगे का उल्लेख करते हुए कहा कि राजधानी में दिनदहाड़े उपद्रव हुए था, जिसमे कई अल्पसंख्यक युवाओं को पुलिस द्वारा पैर मे गोली न मारकर सीधा छाती पर गोली मारी गई थी, जिससे कई अल्पसंख्यक युवाओ की असमय मौत हुई थी। जिसमे आज तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वे पुलिस की गोली से मरे या फिर किसी अन्य के द्वारा गोली चलाने से उनकी हत्या हुई। आज तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि उसके पीछे का मास्टरमाइंड कौन था, जिसने डायरेक्ट छाती पर गोली चलवाई थी। आज भी वह रहस्य ही बनकर रह गया। मृतको के परिजनों को आजतक मुआवजा नहीं मिला ना ही जांच का कोई परिणाम ही निकल सका।

नायक ने आरोप लगाया कि भाजपा/आरएसएस की साम्प्रदायिक नीतियों ने झारखंड में उग्र साम्प्रदायिक विचारधाराओं को पैर पसारने का अवसर दे रहा है। उन्होंने राज्य सरकार को आगाह किया कि यदि झारखंड सरकार जल्द ही भाजपा/आरएसएस की साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति की नीतियों पर लगाम नहीं लगाती है तो राज्य पूरी तरह से इन उपद्रवियों की चपेट में आ जाएगा। उन्होंने साफ शब्दो में कहा कि रामगढ़ और हजारीबाग की हिंसा की घटनाओं के दोषी चाहे कोई भी धर्म से हो, उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई किए जाए, ताकि ऐसी घटनाओ की पुनरावृत्ति झारखंड में फिर से न हो सके।

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