गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। भारत सरकार द्वारा अधिवक्ता एक्ट 1961 में प्रस्तावित संशोधन के विरोध में पूरे देश में अधिवक्ताओं के संगठन द्वारा विरोध दर्ज किया जा रहा ह। इसी क्रम में 25 फरवरी को वैशाली जिला अधिवक्ता संघ द्वारा अपने को न्यायिक कार्य से अलग रखने का निर्णय लिया है।
वैशाली जिला विधिक संघ हाजीपुर के सचिव मनोज कुमार सिन्हा ने 24 फरवरी को बताया कि 25 फरवरी को जिला न्यायालय हाजीपुर के सभी अधिवक्ता प्रस्तावित अधिवक्ता एक्ट संशोधन के विरोध में काला बिल्ला लगाकर अपना विरोध प्रकट करेंगे। साथ ही किसी भी न्यायिक कार्य से सभी अधिवक्ता अपने को अलग रखेंगे। जिसकी वजह से कल के रोज वैशाली जिला व्यवहार न्यायालय में कोई भी न्यायिक कार्य संभव नहीं होगा।
इस अवसर पर वैशाली जिला विधिक संघ के अधिवक्ता प्रवीण कुमार, सुमन कुमार, कुमार विकास, कुमार राजेश, मोहम्मद शफी, आशुतोष कुमार, गणेश प्रसाद, उमेश प्रसाद गुप्ता, मोहम्मद अरशद, पशुपति कुमार इत्यादि अधिवक्ताओं ने नए प्रस्तावित संशोधन का विरोध करते हुए बताया कि प्रस्तावित संशोधन कानून यदि लागू होता है तो भारत सरकार का नियंत्रण बार काउंसिल आफ इंडिया पर हो जाएगा। साथ ही अधिवक्ताओं को जो ऑफिसर ऑफ द कोर्ट माना जाता है, कोर्ट के पीठासीन पदाधिकारी के निगरानी में हो जाएंगे और पीठासीन पदाधिकारी के प्रतिवेदन या पत्र के आलोक में अधिवक्ताओं पर कार्यवाही की जा सकती है।
आधीवक्ताओं ने यह भी कहा कि देश में अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की आवश्यकता है। न्यायिक पदाधिकारी और मंत्री, विधायक प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करते हैं, जबकि अधिवक्ताओं को बिना सुरक्षा के बड़े-बड़े मुजरिमों के खिलाफ भी न्यायालय में कार्य करना पड़ता है। जिसका खामियाजा अधिवक्ताओं को भुगतना पड़ता है। अगर प्रस्तावित संशोधन कानून का रूप ले लेता है, तो इससे भारतीय न्याय व्यवस्था की जो स्वतंत्रता है उस पर भी आंच आ जाएगी। ऐसे में स्वतंत्र रूप से कार्य करना अधिवक्ताओं के लिए संभव नहीं रहेगा।
प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन कानून के विरोध में युवा अधिवक्ता शक्ति के संयोजक अमन कुमार द्वारा प्रत्येक जिले में जाकर अधिवक्ताओं को उपरोक्त कानून में प्रस्तावित संशोधन की जानकारी दी जा रही है और अधिवक्ताओं को अपने अधिकार के प्रति सजग रहने का आग्रह किया जा रहा है।
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