ड्रग्स फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव अंतरराष्ट्रीय टीम पहुंचा सारण

टीम ने कालाजार उन्मूलन को लेकर छपरा सदर अस्पताल का किया निरीक्षण

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। बिहार सरकार कालाजार उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विभिन्न स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में कालाजार उन्मूलन को लेकर जेनेवा स्वीट्जरलैंड की अंतरराष्ट्रीय टीम ने 15 फरवरी को सारण जिला मुख्यालय छपरा सदर अस्पताल का निरीक्षण किया।

टीम में ड्रग्स फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज इनिशिएटिव (डीएनडीआई) संस्था की ओर से जेनेवा स्विट्जरलैंड की हेड ऑफ एक्सट्रनल रिलेशन एन्ना, एक्सट्रनल रिलेशन मैनेजर अनुप्रिया, हेड ऑफ ऑपरेशन अमित और आईपीसी को-ऑर्डिनेटर राजकिशोर शामिल थे।

बताया जाता है कि डीएनडीआई टीम के सदस्यों ने सदर अस्पताल छपरा स्थित कालाजार वार्ड, सेंटर ऑफ एक्सिलेंस, जांच घर और एमसीएच अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं, कालाजार रोगियों की पहचान, इलाज और जांच से संबंधित जानकारी इकट्ठा की गयी। जिसमें सारण में कालाजार उन्मूलन के लिए किये जा रहे प्रयास, मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, मरीजों की संख्या, पिछले पांच साल का डाटा और डक्यूमेंट की जांच की गयी।

साथ ही जिले के हद में अवस्थित अमनौर सीएचसी में टीम द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमतावर्धन किया गया। यहां कालाजार मरीजों की पहचान, इलाज से संबंधित जानकारी दी गयी। इस दौरान विभिन्न बिंदुओं पर जांच की गयी और आवश्यक सुझाव दिया गया। इस अवसर पर वीडीसीओ अनुज कुमार ने बताया कि सारण जिला कालाजार उन्मूलन की ओर अग्रसर है। उन्होंने बताया कि सारण में सभी प्रखंडों में प्रति दस हजार के जनसंख्या पर 1 मरीज से अधिक नहीं होना चाहिए, इसे बरकरार रखा गया है।

साथ हीं इसे तीन साल तक सस्टेन भी रखा गया है। कहा कि सारण जिले के सभी प्रखंडों में एन्डमिसिटी रेट 0.5 प्रतिशत से नीचे है। उन्होने बताया कि सारण में पिछले साल 2024 में 60 वीएल और 30 पीकेडीएल के मरीज मिले थे। वहीं इस साल 2025 में अबतक 2 वीएल और 2 पीकेडीएल के मरीज मिले हैं। कहा कि कालाज़ार के मरीजों में कमी लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है, जो संक्रमित बालू मक्खी (आनोफील) के काटने से होता है। यह संक्रमित बालू मक्खी कालाजार रोग के कारक परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। यह बालू मक्खी कम प्रकाश वाले, नमी वाले जगहों, मिट्टी की दीवारों, मवेशी बांधने के स्थान आदि में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

जिससे वह अन्य दूसरे गंभीर रोगों से ग्रसित हो सकता है। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि ज़िले के किसी भी व्यक्ति में कालाजार से संबंधित लक्षण दिखे तो उसे अनिवार्य रूप से कालाजार की जांच करानी चाहिए, ताकि समय रहते बीमारी की जानकारी मिल सके। मौके पर डीएनडीआई टीम के अलावा वीडीसीओ अनुज कुमार, सदर अस्पताल के डॉ हरेंद्र कुमार, लेखा पाल बंटी कुमार समेत अन्य उपस्थित थे।

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