पुनः परिभाषित करता चंद्रशेखर बावनकुले का नेतृत्व सशक्तिकरण व् सांस्कृतिक गौरव

एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। महाराष्ट्र की महिलाओं को सशक्त बनाना और भारत की समृद्ध विरासत को संरक्षित करना बावनकुले का साहसिक दृष्टिकोण रहा है। उक्त बाते मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज ने 11 फरवरी को कही।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लिए एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में चंद्रशेखर बावनकुले विकास, सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं। राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक शक्तिशाली ताकत के रूप में बावनकुले का नेतृत्व इस क्षेत्र में बहुत जरूरी बदलाव ला रहा है। यह सुनिश्चित करते हुए कि परंपरा और प्रगति दोनों साथ-साथ चलें।

युवा कवियित्री सविता ने बताया कि बावनकुले की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक भारत सदनाम का शुभारंभ है, जो भारत की समृद्ध विरासत का सम्मान करने के लिए बनाया गया एक सांस्कृतिक केंद्र है। नागपुर के कोराडी में स्थित यह केंद्र भारत के गौरवशाली इतिहास और आध्यात्मिक यात्रा के लिए एक जीवंत उदाहरण है। यह ऐतिहासिक केंद्र एक ऐसा मनोरम स्थान है जहाँ आगंतुक भारत की संस्कृति का ऐसा अनुभव कर सकते हैं जैसा पहले कभी नहीं किया।

कहा कि बावनकुले का दृष्टिकोण सिर्फ़ अतीत को संरक्षित करने तक ही सीमित नहीं है। आधुनिक समय के सशक्तिकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भी उतनी ही प्रभावशाली है। लाडली बहना योजना (मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना) जैसे कार्यक्रम महाराष्ट्र में हज़ारों महिलाओं के लिए जीवन रेखा बन गए हैं, जो वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। परिवारों को सशक्त बनाते हैं और जीवन को नया आकार देते हैं।

उन्होंने कहा कि बीते वर्ष 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के साथ राष्ट्रीय गौरव से जुड़े दिन पर बावनकुले की पहल को नई गति मिली। उनका नेतृत्व न केवल महाराष्ट्र के सांस्कृतिक संरचना को बढ़ा रहा है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और सतत विकास के प्रति उनके समर्पण को भी मजबूत कर रहा है।

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