साभार/ बेंगलुरु। कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने सोमवार को विधानसभा में ध्वनिमत से बहुमत साबित कर दिया। सदन में ध्वनिमत से बहुमत का फैसला हुआ। एक सौ छह विधायकों ने सरकार का समर्थक किया जबकि सौ विधायक विरोध में थे। विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की। इस बीच स्पीकर रमेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस और जेडीएस के बाकी 14 बागी विधायकों को भी स्पीकर के अयोग्य ठहराने के बाद येदुरप्पा की राह में कोई रोड़ा नजर नहीं आ रहा था। अगर सदन में आज वोटिंग होती भी तो भी येदियुरप्पा बहुमत साबित कर देते।
मौजूदा समय में कर्नाटक विधानसभा में विधासभा में कुल 225 विधायक हैं। 225 में 17 अयोग्य करार होने के बाद विधानसभा का आंकड़ा 208 पर पहुंच गया। अगर वोटिंग होती तो येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 105 विधायकों की जरूरत पड़ती। निर्दलीय के समर्थन के साथ बीजेपी का आंकड़ा 106 विधायक पर पहुंच रहा है। जबकि कांग्रेस और जेडीएस के पास महज 100 विधायक ही हैं। ऐसे में येदियुरप्पा आसानी से मौजिक नंबर हासिल कर लेते। इस सबके बीच 17 विधायकों के अयोग्य ठहराने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर खड़ा हो गया है।
स्पीकर रमेश कुमार ने 25 जुलाई को 3 बागी विधायकों आर शंकर (केपीजेपी विधायक जिसने कांग्रेस के साथ विलय किया था) और रमेश जर्किहोली (कांग्रेस), महेश कुमठल्ली (कांग्रेस) को अयोग्य ठहराया था। रविवार के 14 और विधायकों आनंद सिंह (कांग्रेस), प्रताप गौड़ा पाटिल (कांग्रेस), बीसी पाटिल (कांग्रेस), शिवराम हेब्बार (कांग्रेस), एस टी सोमशेखर (कांग्रेस), बायरती बसवराज (कांग्रेस), रोशन बैग (कांग्रेस), मुनीरतना (कांग्रेस), के सुधाकर (कांग्रेस), एमटीबी नागराज (कांग्रेस), श्रीमंत पाटिल (कांग्रेस) और ए एच विश्वनाथ (जेडीएस), नारायण गौड़ा (जेडीएस), के गोपलाईया (जेडीएस) को अयोग्य घोषित किया था।
स्पीकर के फैसले को कांग्रेस-जेडीएस के बागियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। जेडीएस नेता और बागी विधायक एएच विश्वनाथ ने कहा कि फैसला ‘कानून के विरुद्ध’ है और वह अन्य असंतुष्ट विधायक के साथ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। विश्वनाथ ने कहा, ”अयोग्यता विधि विरुद्ध है… मात्र उन्हें जारी व्हिप के आधार पर आप विधायकों को सदन में आने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।”
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