एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 को राज्य के सभी जिलों में सख्ती से लागू कर झारखंडी जनमानस के बुनियादी समस्याओं का समाधान करे सरकार।
उपरोक्त बाते 4 फरवरी को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने राज्य के मुख्यमंत्री तथा राज्य के मुख्य सचिव को ईमेल भेजकर कही।
नायक ने सरकार को प्रेषित ईमेल संदेश में कहा है कि
झारखंड में सभी आम व् खास के लिए झारखंड सेवा देने की गारंटी अधिनियम-2011 लागू किया गया था। जिसमें निर्धारित अवधि के भीतर सेवा देने की बाध्यता थी।
बावजूद इसके राज्य के विभिन्न जिलों में इसका अनुपालन आज कहीं भी नहीं किया जा रहा है। जिसके मुख्य दोषी विभिन्न जिलों के उपायुक्त है। कहा कि आज इसी का दुष्परिणाम और मुख्य कारण है कि हर छोटे- मोटे काम के लिए राज्य की भोली भाली आमजनो को सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है। उन्हें बाबुओं के आगे न केवल गिड़गिड़ाना पड़ रहा है, बल्कि उन्हें बख्शीश घुस भी देने पर रहे है। यह परंपरा राज्य के लिए शुभ संकेत नही है। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता के लिए यह आक्रोश का विषय है। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, लाभुको का काम समय पर हो।
आमजनों को कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े। इस लिहाज से ही इस अधिनियम को कानून बना कर पुरे राज्य मे लागु किया गया था। लेकिन इसका अनुपालन राज्य के विभिन्न जिलो में नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि सेवा का अधिकार अधिनियम से संबंधित कार्यालयों में न तो आज सूचना पट्ट लगा है, और न ही किसी प्रकार की जानकारी ही रहिवासियों को दी जाती है। जिला के सभी कार्यालयों में आज महिनो से फाइलें पड़ी रह जाती है और आमजन कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक जाते हैं। उनका काम नहीं होता है।
नायक ने कहा कि आदिवासी मुलवासी जनाधिकार मंच इसे न केवल गंभीरता से लिया है, बल्कि सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन एवं मुख्य सचिव, झारखंड सरकार को इस दिशा में आइना दिखाने हेतु इ-मेल भेज कर सेवा अधिकार कानून-2011 को सख्ती से लागू कराने हेतु राज्य के सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश देने एवं जो उपायुक्त इस कानून पर ढिलाई बरतता हो, उन पर कार्रवाई करने की दिशा मे पहल करने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत दण्ड का भी प्रावधान निर्धारित किया गया है।
समय सीमा के भीतर सेवा उपलब्ध नहीं कराए जाने पर द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी द्वारा 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसी प्रकार प्रथम अपील आवेदन का निपटारा बिना किसी पर्याप्त या युक्ति संगत अनुबंधित समय सीमा के भीतर नहीं रहने की स्थिति में द्वितीय अपीलीय पदाधिकारी द्वारा 500 रुपये से 5000 तक जुर्माना वसूल सकते है। जुर्माने की राशि अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के वेतन से वसूृलनीय होगा। कहा कि आज राज्य के विभिन्न जिलो के हद में अंचल अधिकारी स्तर पर दाखिल खारिज बिना आपत्ति के 30 दिनों से कई मामले लंबित हैं एवं आपत्ति के साथ 90 दिनों से अधिक भी मामले लंबित है।
इसी प्रकार जाति, आय, आवासीय प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, बिजली विभाग से संबधित एवं अन्य जनसमस्याओ से संबंधित मामले लंबित पड़े हुए है। इसे कोई देखने वाला नही हैं। जनता त्राहिमाम कर रही है। उनकी समस्याओं का सामाधान नहीं हो रहा है।
नायक ने कहा कि मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच अनुरोध करता है कि राज्य में जनता के बुनियादी समस्याओं के सामाधान करने की दिशा मे झारखंड सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 को राज्य के सभी जिलो मे सख्ती से लागु किया जाय और राज्य के सभी उपायुक्तो को सख्त निर्देश दिये जाय, कि इस कानून को सख्ती से लागु करने मे कोताही बरती गई तो आप इसके जिम्मेवार माने जायेगे और आप पर कार्रवाई की जायेगी।
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