एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। केन्द्र सरकार का आम बजट खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। केन्द्रीय बजट मुंगेरीलाल के हसीन सपनों की तरह है।
उपरोक्त बाते एक फरवरी को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही। नायक केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहें थे।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह बजट बिहार और दिल्ली में होनेवाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक लाभ लेने के लिए बनाई गयी है। इस बजट में उन राज्यों को विशेष लाभ देकर आने वाले चुनाव में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। इसलिए उन राज्यों को फोकस किया गया है और बजट में झारखंड जैसे गरीब राज्य की उपेक्षा की गई है, जो भाजपा के लिए ठीक नहीं है।
नायक ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था अभी कछुआ चाल से शनैःशनैः चल रहीं है। ऐसे में देश की जनता की आय और नौकरियां धीरे धीरे कम और खत्म होती जा रही है। आज जीडीपी की वृद्धि दर पिछले पूर्व के वर्षो से इस वर्ष सबसे कम है, जो आर्थिक सर्वे में भी यही अनुमान है कि जीडीपी 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत तक ही रहेगी।
कहा कि यह आम बजट बढ़ते महंगाई को रोकने की दिशा मे अपना कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री द्वारा बजट भाषण में जो जनता को मुंगेरीलाल का हसीन सपना दिखाया गया कि 12 लाख तक कोई आयकर नहीं लगेगा, यह पूरी तरह मृगतृष्णा है। क्योंकि, आयकर की सीमा सिर्फ एक लाख तक बढ़ाया गया है।
नायक ने कहा कि डेढ़ अरब की जनसंख्या के देश में सिर्फ कुछ करोड़ लाख रहिवासी ही टैक्स पेयर हैं। ऐसे में किसका वे भला करेंगी? केन्द्रीय वित्त मंत्री ही बेहतर बता सकती है। कहा कि इस बजट से देश के दलित, आदिवासी, मूलवासियों एवं अन्य कमजोर वर्गों के ज्यादातर रहिवासियों को कुछ भी हाथ नहीं लगा है।
उन्होंने कहा कि देश में बहुत बड़ी आबादी किसान, मजदूर की संख्या अधिक है, जिनकी आय दिन प्रतिदिन घटती जा रही है, जो आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में भी कहा गया है। इसे केंद्र ने भी स्वीकार किया है, कि प्रतिदिन कमाने वाले व्यक्तियों कि आय मे कमी आ रही है। कुल मिलाकर यह बजट कुछ प्रदेश मे हो रहे चुनाव को मद्देनजर रखते हुए चुनावी लाभ हेतु बनाया गया है। इस बजट से सम्पूर्ण देश की जनता को लाभ नहीं होने वाला है।
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