नये एमसीएच भवन में शिफ्ट होगा सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के तहत स्वास्थ्य संस्थानों का प्रमाणीकरण किया जा रहा है।
इसी कड़ी में अब सारण जिला मुख्यालय छपरा स्थित सदर अस्पताल का भी राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के तहत प्रमाणीकरण किया जाना है। इसे लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी शुरू कर दी गयी है। सदर अस्पताल में व्यवस्थाओं को मानक के अनुरूप व्यवस्थित किया जा रहा है। साथ हीं सदर अस्पताल के कर्मियों का क्षमता वर्धन भी किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि, राज्य स्तर से यूनिसेफ के स्टेट कंसल्टेंट डॉ जगजीत सिंह द्वारा कर्मियों का क्षमता वर्धन किया गया।
जिसमें अस्पताल के प्रसव कक्ष, ओटी, लैब, ओपीडी, एसएनसीयू, आईसीयू, पीआईसीयू, एनआरसी वार्ड के स्टाफ और नर्स को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के चेकलिस्ट के तहत क्षमता वर्धन किया गया। सारण के क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने 31 जनवरी को बताया कि सदर अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं और चिकित्सकीय इंतजामों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की पहल की जा रही है।
इसके तहत जिला अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं में सुधार का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल छपरा के चिह्नित 8 वार्डो को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें अस्पताल के प्रसव वार्ड, लेबर रूम, इमरजेंसी वार्ड, पीकू वार्ड, एसएनसीयू, ब्लड सेंटर, एनआरसी, ओपीडी और लैबोरेटरी शामिल है।
बताया कि एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप सदर अस्पताल को 70 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करना होगा। इसे लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं को लाने होंगे। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए जरूरी तैयारियां की जा रही है। डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल को एनक्वास सर्टिफिकेशन मिल जाता है तो प्रमाण पत्र के साथ तय राशि भी मिलेगी।
तय राशि तीन सालों तक दिया जाएगा। इससे यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को फायदा होगा। उन्हें गंभीर बीमारी के इलाज के लिए पटना या फिर किसी निजी अस्पताल का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के तीन स्तर पर प्रमाणीकरण के लिए लक्ष्य का निर्धारण किया गया है। जिसमें पहले चरण में कायाकल्प, दूसरे चरण में लक्ष्य एवं तीसरे चरण में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) प्रमाणीकरण योजना की शुरुआत की गई है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र प्रदान करने के पूर्व विशेषज्ञों की टीम द्वारा अस्पताल की सेवाओं और संतुष्टि स्तर का विभिन्न मानकों पर परीक्षण किया जाता है। इनमें उपलब्ध सेवाएं, मरीजों के अधिकार, इनपुट, सपोर्ट सर्विसेस, क्लिनिकल सर्विसेस, इन्फेक्शन कंट्रोल, गुणवत्ता प्रबंधन और आउटकम जैसे पैरा मीटर शामिल हैं।
इन कड़े मानकों पर खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किए जाते हैं। मौके पर आरपीएम प्रशांत कुमार, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद, सीफार डीसी गनपत आर्यन, बंटी कुमार समेत अन्य मौजूद थे।
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