एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में कारो बस्ती में 19 जनवरी को दिशोम सोहराय महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
जानकारी के अनुसार यहां नायके बाबा सोहनलाल मांझी व कुवर मांझी ने विधि विधान से पूजा कराया। पूजा के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। इसके बाद मांदर के थाप पर युवक एवं युवतियां नृत्य प्रस्तुत किए। यहां विस्थापित नेता सोहनलाल मांझी ने कहा कि यह पर्व प्रकृति और प्रेम का प्रतीक है, जो आदिवासी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जो इस पर्व की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी और यहां की संस्कृति में एक अलग ही बात है। कहा कि जल, जंगल, जमीन हमारी पहचान है और उनकी रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। प्रकृति हमारी जीवनधारा है और इसकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। कहा कि प्रकृति की रक्षा करने से हम न केवल अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि हम अपने स्वास्थ्य, हमारे बच्चों के भविष्य और हमारी पूरी पृथ्वी की सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं।
कहा कि प्रकृति हमे सभी तरह के संसाधन मुहैया कराती है। यह पर्व फसल कटने के बाद मनाया जाता है। हम अपनी संस्कृति को भुलते जा रहे है। हमे अपनी संस्कृति को सहेज कर रखने की जरूरत है। महोत्सव को सफल बनाने में कारो बस्ती, बंदुकबेड़ा, ताराबेड़ा, चरकपनिया, रासबेड़ा, कारूकाटा, बगडेगवा, डेलिआम आदि स्थानों के सैकड़ो रहिवासी शामिल हुए।
मौके पर विस्थापित नेता रंजीत महतो व कैलाश ठाकुर, हिंदू कल्याण मंच के रामु दिगार, समिति के अध्यक्ष वर्षा सोरेन, उपाध्यक्ष सोराबन मरांडी सहित जितेन्द्र टुडू, राम टुडू, यूगल मांझी, पूरन मांझी, रामकुमार मांझी, बाबूचंद किस्कु, दीनू हेंब्रम, छोटेलाल किस्कु, मुन्ना बेसरा, बसंती देवी, पेरी देवी, शांति देवी, बबनी देवी, जानकी मूर्मू, मंजू देवी, अनिता देवी, अंजली देवी, चिंता देवी, देवनी सोरेन, रागनी बेसरा, संगीता कुमारी, पुनम कुमारी, सरिता कुमारी, गंगा देवी, खुशबू कुमारी, बबली कुमारी आदि मौजूद थे।
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