ठाकुर अनुकूल चंद्र का 137वाँ जन्मोत्सव सह विग्रह प्रतिष्ठा वार्षिकोत्सव

बोकना सत्संग बिहार में जुटे 1700 सत्संगी, सत्संग एक विशाल शोध है-बसंत कुमार साहू

सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में बड़ाजामदा के बोकना स्थित सत्संग विहार सत्संगी के नेतृत्व मे श्रीश्री ठाकुर अनुकूल चंद्र का 137वाँ जन्म जन्मोत्सव सह विग्रह प्रतिष्ठा का 28वाँ वार्षिकोत्सव आयोजित किया गया।

जानकारी के अनुसार बोकना सत्संग बिहार में 19 जनवरी को पूरे श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ वार्षिकोत्सव मनाई गई। लगभग सतरह सौ से ज्यादा श्रद्धालुओं की एकजुटता में एक सुंदर झलक में रूपांतरित जय गुरु श्रीश्री ठाकुर अनुकूल चंद्र, श्रीश्री बडमाँ, श्रीश्री बडदा एवं श्रीश्री आचार्य देव को दर्शन के लिए श्रद्धालु लालायित दिखे।

यहां झारखंड व् ओड़िशा के गुवा, नोवामुंडी, जोड़ा, बड़बील, भद्रासाई, बामेबारी, मनोहरपुर चिड़िया, सोनुआ, झींकपानी, बड़ाजामदा व अन्य आसपास के दर्जनों क्षेत्र के श्रद्धालु एकजुट दिखे। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रातः कालीन प्रभात फेरी, संवेदक प्रार्थना, ग्रंथ पाठ, जन्म लग्न प्रार्थना की गई।
कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता कटक (उड़ीसा) के ऋत्विक बसंत कुमार साहू ने श्रीश्री ठाकुर अनुकुलचंद्र के भाव को श्रद्धालुओं के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इस्ट वृति महायज्ञ है। हर महीने जो इस्ट वृति देता है, उसका कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होता। सही समय इस्ट वृति डालना चाहिए। कहा कि सत्संग एक विशाल शोध है, जिसमें सबों को शामिल होना चाहिए। कहा कि धर्म का मूल याजन करें। पड़ोसी का सुख- दु:ख का साथी बने।

उन्होंने कहा कि प्रभु लीला देखना अनन्त जन्मों का फल होता है। विश्व ब्रह्माण्ड को देखने वाले ठाकुर जी के अनुसार वंश वृद्धि पर चर्चा की गई। बताया गया कि ऐसा परिवार बनाईए जो कि भविष्य में यादों को ईश्वर के रूप में जीवित रखे। मनुष्य का सौभाग्य है कि ठाकुर अनुकूल चन्द्र जी ने जगत का विधान के अनुसार मानव जाति के जीवन- मरण का पूर्ण ज्ञान ठाकुर जी दिए है। रोग की समस्या परिवार की समस्या है।आचार्य देव पुरुषोत्तम है। उनके वाणी को अनुशरण करनी चाहिए।

उन्होने बेहतर सेवा, त्वरित सहयोग व जन कल्याण के लिए परम प्रेममय पिता श्रीश्री ठाकुर अनुकूल चन्द्र के बताए मार्ग पर चलने के लिए सबों को प्रेरित किया। कहा कि मानव में मानवीय गुणो का संचार करने व जन कल्याण के लिए सदैव अग्रसर रहने को कहा गया।

संतसंगी शिव लाल लकड़ा ने कहा कि ईश्वर के आदेश का पालन करने वाला एवं जन कल्याण के कार्य करने वाला व्यक्ति सदैव ईश्वर से जुड़ा हुआ होता है। मनुष्य को मानव शरीर बहुत ही सौभाग्य से प्राप्त हुआ है। अतः मानव को जन कल्याण के कार्य करते रहना चाहिए। बड़ाजामदा के वक्ता ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर ने कहा कि मनुष्य का गंतव्य ईश्वर प्राप्ति है। सत्संगी को यजन एवं याजन का महत्व बताते हुए उसे अनुकरण करने के लिए उन्होने प्रेरित किया। ऋत्विक अमरनाथ ठाकुर ने कहा कि अनुकूल चंद्र जी के भाव को घर घर में पहुंचना जरूरी है।

युग पुरुषोत्तम के बताए मार्ग द्वारा जीवन में शांति स्थापित की जा सकती है। उनके बहू धारा, नीति नियम से जीवन को संतुलित किया जा सकता है । कार्यक्रम में भजन कीर्तन के साथ-साथ धर्म सभा, मातृ सम्मेलन व भंडारा का आयोजन किया गया।संगीत मंडली अनिल दास एवं मनमोहन चौबे के नेतृत्व मे सब नाचते गाते दिखे। कार्यक्रम मे टाटा, चाईबासा व अन्य 22 उपयोजना केन्द्र के भजन कीर्तन मंडली में दिखे। मंदिर का पूरा सजावट देखने योग्य रहा।

कार्यक्रम मुख्य रूप से चाईबासा के ब्रज मोहन मिश्रा, बोकना गाँव के मुंडा विक्रम चाँपिया, वरिष्ठ सत्संगी कर्मी पूर्व जिला पार्षद शंभू हाजरा, ओपी प्रभारी विकास कुमार एवं पुलिसिया टीम, शिव लाल लकड़ा, बड़बील के कीर्तन बारीक, डीएवी नोवामुंडी के सेवानिवृत शिक्षक चन्द्रमोहन महतो, मनोहरपुर के गौर हरि मालवा, पवन कुमार साहू, डीएवी चिरिया के शिक्षक श्रवण कुमार पांडेय, संगीता पांडेय व अन्य कई शामिल दिखे। संध्या के समय मातृ सम्मेलन आयोजित की गई।

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