भविष्य की पीढ़ियों के लिए शेट्टी ने की घोषणा

मुंबई। योग वशेषज्ञ, जीवन विज्ञान और रहस्यवादी ज्ञान पर मजबूत पकड़ रखने वाले प्रेरक एवं वक्ता विवेक शेट्टी (Vivek shetty) ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए तत्काल प्रभाव से गठित करने पर विचार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि बिगड़ते पर्यावरण के स्वरूप और विस्फोटक जनसंख्या जैसे मुद्दों को लोग कल की समस्या मानते हैं और अर्थव्यवस्था से जुड़ी बातों को आज की समस्या मानते हैं। इसलिए भविष्य की पीढ़ी के लिए एक मंत्रालय की सख्त जरूरत है।

विश्व जनसंख्या दिवस (World population day) पर विवेक शेट्टी (Vivek shetty) ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए तत्काल प्रभाव से गठित करने के लिए अपने विचार रखे। शेट्टी के अनुसार नवगठित मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होगा कि हर निर्णय बेबी पॉलिसी के अनुसार लिया गया था। वर्तमान पीढ़ी के कानूनविद् भविष्य की पीढ़ियों के हितों की भी रक्षा करेंगे।

उन्होंने कहा कि विस्फोटक जनसंख्या, पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) जैसे मुद्दों को लोग कल की समस्या मानते हैं, जबकि अर्थव्यवस्था से जुड़ी बातों को आज की समस्या मानते हैं। इस लिए भविष्य की पीढ़ी के लिए एक मंत्रालय की आवश्यकता है। उन्होंने गंभीरता से अपनी सोच को साझा किया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारी ट्रैफिक, वायु प्रदूषण और कचरे का ढेर जैसी लगभग हर दूसरी समस्या वास्तव में जनसंख्या विस्फोट का सीधा परिणाम है। इसलिए इन सभी मुद्दों को एक ही समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए।

विवेक शेट्टी के आंकड़ों के अनुसार इस ग्रह पर हर दस में से लगभग एक इंसान के पास पीने के लायक साफ पानी नहीं है। हर तीन में से लगभग एक के पास स्वच्छ शौचालय की सुविधा नहीं है। इसके अलावा, प्रति सेकंड लगभग 43 जन्म होते हैं और प्रति सेकंड लगभग 18 मौतें होती हैं। इसलिए हर एक सेकंड में आबादी में औसतन 25 व्यक्तियों की बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने देखा कि जब मनुष्य इस ग्रह पर हर दूसरे जीव के विकास को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, तब वे स्पष्ठ रूप से अपने स्वयं को विनियमित करने में विफल रहे हैं।

इस जीवन विज्ञान विशेषज्ञ द्वारा किए गए सबसे कठिन अवलोकनों में से एक था। इस ग्रह पर नब्बे प्रतिशत मानवीय गतिविधियां मानव मन के भीतर बसे सरीसृप मन की सीधी अभिव्यक्ति थी। मौजूदा समय में पृथ्वी पर मानव जनसंख्या लगभग 7 बिलियन के आसपास है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार यह आंकड़ा 2050 तक 93 बिलियन हो सकता है। इंदस कम्युनिकेशन्स (Indus Communications) के प्रमुख विवेक शेट्टी पिछले 15 वर्षों से इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।


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