एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) के आदेश के बाद निजी क्षेत्र (प्राइवेट सेक्टर) की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने पर रोक मामले पर राज्य की हेमंत सरकार अपनी मंशा जाहिर करे।
उक्त बाते हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने पर रोक लग जाने पर 13 दिसंबर को अपनी प्रतिक्रिया में झारखंड आदिवासी, मुलवासी जनाधिकार के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कही। उन्होंने कहा कि अब सरकार को बताना चाहिए कि अब वो झारखंड रोजगार अधिनियम 2021 में संशोधन कर पून: इसको लागु करेगी या फिर सर्वोच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ सरकार अपील करेगी।
नायक ने कहा कि हेमंत सरकार द्वारा जितने भी झारखंड के रहिवासियों के लिए उनके हक और अधिकार के लिए नियम कानून बना रही है, सब न्यायालय में धराशायी होकर ध्वस्त हो जा रहा है। वहीं कई कानून राज्यपाल के यहां से बिना कानून बने वापस हो जा रही है। जिससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार कानून के विद्धानो से राय और मशवरा नही ले रही है।
राज्य की विधि विभाग भी राज्य सरकार को अच्छे से सलाह न देकर सरकार की फजीहत कराने के साथ साथ झारखंडी समाज को उनके हक और अधिकार से वंचित कराने का कार्य कर रही है। यह राज्य के शोषित, पीड़ित, अधिकार से वंचित राज्य की जनता के लिए शुभ संकेत नही है।
नायक ने कहा कि राज्य सरकार को कोई भी कानून बनाने से पूर्व हजारो बार विधि विभाग एवं झारखंड के कानून के विद्वानों से विचार विमर्श तथा एक्सरसाइज कर ही कानून बना कर झारखंड के रहिवासियों को उनके हक और अधिकार दिलाने की दिशा मे कारवाई करना चाहिए, ताकि न्यायालय मे बनाये गये कानून टिक सके और भविष्य में सरकार की फजीहत होने से बचा जा सके। नही तो यह माना जायेगा कि सिर्फ सरकार झारखंडी जनता को आईवास कर बेवकुफ बनाने का कार्य कर रही है।
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