एस. पी. सक्सेना/बोकारो। पुरा देश 3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि यह दिन भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती का प्रतीक है। यह दिन वकीलों के योगदान और न्याय व्यवस्था में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है।
प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की ईमानदारी, निष्ठा और समाज के प्रति सेवा भाव को वकालत के पेशे में एक प्रेरणा के रूप में देखा जाता है। यह दिन कानूनी शिक्षा और युवा अधिवक्ताओं को अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करता है।
इस अवसर पर इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स की ओर से बोकारो कोर्ट परिसर में अधिवक्ता दिवस का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम कार्यक्रम की शुरुआत देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। यहां बोकारो के वरीय अधिवक्ता मोहन लाल ओझा ने सभी अधिवक्ताओं को बधाई और आशीर्वचन दी।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल कौंसिल मेंबर अधिवक्ता रणजीत गिरि ने अधिवक्ता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने केक काटकर एवं मिठाई बांट कर खुशी का इजहार किया। गिरि ने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी और महान राजनेता थे, बल्कि एक प्रख्यात वकील भी थे। उन्होंने वकालत के क्षेत्र में उच्च नैतिक मूल्यों और उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया, जिससे यह पेशा और अधिक सम्मानित हुआ।
अधिवक्ता दिनेश प्रसाद शर्मा ने अधिवक्ता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। अधिवक्ता अतुल कुमार ने सभी अधिवक्ता का आभार एवं धन्यवाद किया, साथ हीं कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन यह दिखाता है कि कैसे एक वकील समाज के न्याय और सेवा के उद्देश्य को सशक्त बना सकता है।
इस अवसर पर संजीव पाठक, सुनील सिंह सिसोदीया, सोमनाथ शेखर, जवाहर प्रसाद, विष्णु प्रसाद नायक, मृत्युंजय लायाक, संजीत कुमार सिंह, हसनैन आलम, फटीक चंद्र सिंह, रंजन कुमार मिश्रा, सम्पूर्ण चंद्र लायक, सुरेंद्र साव, मजहबिन, निखिल कुमार डे, सुनील राजहंस, अंकित ओझा, चंदन कुमार, निरोध प्रमाणिक, विजय कुमार, अंजनी चौधरी, राजश्री, सुनीता देवी, वीणा रानी, प्रेरणा पांडेय, दीपिका सिंह, दीप्ति सिंह, रीना कुमारी, सुमन झा, मनोज तिवारी, जितेन्द्र कुमार समेत सैकड़ो अधिवक्तागण उपस्थित थे।
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