रामायण मंचन के पांचवें दिन मेला में शूर्पणखा की स्वच्छंदता का सटीक चित्रण
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में 29 नवंबर को सलेमपुर सांस्कृतिक संगम की प्रस्तुति रामायण मंचन के पांचवें दिन की शुरुआत संस्था के निर्देशक मानवेन्द्र त्रिपाठी के कुशल मार्गदर्शन में शूर्पणखा के नाक कटने के प्रकरण के साथ किया गया। इस संवाद के साथ कि नारी स्वतंत्र होनी चाहिए स्वच्छंदता नहीं। स्त्री हो चाहे पुरुष स्वच्छंदता उसके अनुशासनहीनता को दर्शाता है। यही अनुशासनहीनता एक दिन उसके अपमान का कारण बनता है। संयम और अनुशासन समाज, परिवार एवं स्वयं के व्यक्तित्व को ऊंचाई प्रदान करता है।
इसी कड़ी में शूर्पणखा के अभिमान को पोषित करने वाले अभिमानी खर और दूषण अन्ततः राम के हाथों मारे जाते हैं। शूर्पणखा अपने बड़े भाई रावण से राम के प्रति अपने किए अशोभनीय हरकतों और अश्लील संवादों को ना बता कर बल्कि झूठा आरोप लगाते हुए राम के द्वारा खुद पर किए गए अत्याचार को बढ़ा -चढ़ा कर बताती है।
मद में चूर लंका के रजा रावण अपने विवेक से काम न लेकर अपने अहंकार में चूर क्रोधित होकर राम को अपना शत्रु मान बैठता है। संसार में कोई भी व्यक्ति जब अभिमानी हो कर मद में चूर हो जाता तो सबसे पहले उसका विवेक मर जाता है।
जब नाश मनुज पर आता है, पहले विवेक मर जाता है
राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने रश्मिरथी में लिखा है कि जब नाश मनुज पर आता है, पहले विवेक मर जाता है। यही स्थिति रावण की भी होती है। उसके सारे ज्ञान, विद्या, समझ उसका साथ छोड़ देते हैं। भगवान शिव का परम भक्त रावण शिव के अराध्य श्रीराम से शत्रुता कर बैठता है। अंततः वह अपने पतन का मार्ग स्वयं ढूंढ लेता है।
आज मेला के मंच पर इन्हीं सारे प्रसंगों में रावण मारीच संवाद, सीता हरण, राम जटायु संवाद और अंत में भक्ति की पराकाष्ठा नवधा भक्ति स्वरुपा शबरी राम को अपनी कुटिया तक खींच लाती है। राम का दर्शन कर स्वयं का जीवन धन्य कर लेती है को दर्शाया गया।
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