झारखंड विधानसभा में चुनाव में इंडी गठबंधन की प्रचंड जीत, पिछड़ा विपक्ष

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड में संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद 23 नवंबर की मतगणना के पश्चात इंडी गठबंधन की प्रचंड जीत ने कई राजनीतिक विश्लेषको की समझ पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। वहीं अपनी जीत का दावा कर रहे एनडीए पिछड़ गयी है। चुनाव पूर्व जहां गठबंधन से झामुमो को लाभ पहुंचा है वहीं भाजपा को घाटा पहुंचा है। हालांकि, सरकार के चार मंत्री इसबार चुनाव हार गये, बावजूद इसके डैमेज कंट्रोल करने में इंडी गठबंधन सफल रहा है।

ज्ञात हो कि, 23 नवंबर को घोषित चुनाव परिणाम के अनुसार इंडी गठबंधन के झामुमो ने अकेले 33 सीट पर कब्जा जमाया है, वहीं समर्थित दल कांग्रेस ने 16, राजद ने 4 तथा सीपीआई (एमएल) ने दो सीट हासिल किया है। इस प्रकार इंडी गठबंधन को कुल 55 सीट पर जीत मिला है। 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। इंडी गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल कर विपक्ष को बैकफुट पर धकेल दिया है।

यदि एनडीए गठबंधन के सीटों का हम आकलन करें तो इस चुनाव में कई सीटों को गंवाने के बावजूद भाजपा 21 सीट पर कब्जा जमाकर कुछ हद तक अपनी लाज बचाने में सफल रहा है। जबकि गठबंधन दल आजसू ने पुरी तरह मिट्टी पलिद कर दिया है। आजसू ने मात्र एक सीट जीतने में सफल रही है।

वहीं एनडीए के लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक तथा जनता दल (यू) ने अपनी दावेदारी के अनुकूल एक-एक सीट प्राप्त किया है। इस चुनाव में सबसे अलग झारखंडी अस्मिता के नाम पर खतियान आधारित झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा अध्यक्ष जयराम कुमार महतो बेरमो सीट से हारने के बाद डुमरी सीट पर कब्जा जमाने में सफल रहे हैं।

जेएलकेएम ने झारखंड के लगभग सभी सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन जीत का सेहरा केवल जयराम के जिम्मे रहा। बावजूद इसके जेएलकेएम ने इस विधानसभा चुनाव में लगभग सभी राजनीतिक दलों के चेहरे पर पेशानी ला दी थी।

खास यह कि इस चुनाव में जहां बेरमो सीट से कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिंह ने लगातार दूसरी बार अपनी जीत दर्ज कर यह जता दिया कि केवल पारिवारिक पृष्टभूमि हीं नहीं बल्कि क्षेत्र में किए गये कार्यों को भी जनता देखती है। वहीं डुमरी से मंत्री रही बेबी देवी की सक्रियता में कमी ने उन्हें क्षेत्र की जनता ने हार की ओर धकेल दिया है।

बोकारो और चंदनकियारी की बात करे तो बोकारो से पिछले चुनाव में किसी प्रकार भाजपा के बिरंची नारायण ने जीत हासिल कर ली थी। दूसरे स्थान पर तब कांग्रेस के श्वेता सिंह रही थी। इस बार ठीक इसके उलट बिरंची दूसरे स्थान जबकि श्वेता ने जीत हासिल कर ली है। कहा जाता है कि चुनाव पूर्व भाजपा के बिरंची केवल जीत हार के अंकगणित में उलझे रहे, जिसके कारण उनके कई समर्थक उनसे नाराज होते चले गये, और उन्हें इसका आभास नहीं हो सका।

वहीं चंदनकियारी में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी की हार उमाकांत रजक की लगातार सक्रियता का परिणाम रहा है। इसी प्रकार देखा जाये तो झारखंड विधानसभा में एक ऐसा शख्स है जो ताल ठोककर प्रतिद्वन्दी चाहे कितना भी कद्दावर हो हराने का माद्दा रखता है। वह है इस चुनाव में जदयू से जीत हासिल करनेवाले चाणक्य के नाम से विख्यात सरयू राय। ज्ञात हो कि, पूर्व में राय ने ताल ठोककर तब के मुख्यमंत्री व् वर्तमान में ओड़िशा के राज्यपाल रघुवर दास को हराया था। इसबार उन्होंने ताल ठोककर स्वस्थ मंत्री बन्ना गुप्ता को हराने का काम किया है।

खास यह कि चुनाव बाद सत्ता के गलियारे में राजनैतिक समीक्षकों सहित कई राष्ट्रीय समाचार चैनलों ने झारखंड में एनडीए की बहुमत का दावा किया था। ऐसे तमाम दावा चुनाव परिणाम ने फिसड्डी साबित कर दिया है।

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