जान हथेली पर रखकर रेलवे ट्रैक पार कर बच्चे जाते हैं स्कूल

ओवरब्रिज में अचानक आए ट्रेन से बचने के लिए सेंटर बनाया जाय-वीरसिंह मुण्डा

सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम जिला के हद में गुवा क्षेत्र के ठाकुरा गांव के बच्चे जान हथेली पर रख स्कूल पढ़ने के लिए रेलवे ट्रैक पार कर जाते हैं। इस क्रम में 21 नवंबर की सुबह लगभग 9 बजे स्कूली बच्चों को रेलवे ट्रैक पार कर स्कूल जाते देखा गया।

ज्ञात हो कि ठाकुरा गांव से गुवा बाजार के लिए डीएमएफटी फंड द्वारा वर्ष 2010 में सांसद गीता कोड़ा के प्रयास से ग्रामीणों के लिए आने जाने के लिए एक पुलिया का निर्माण कराया गया था। परंतु यह पुलिया उक्त गांव के ग्रामीण गुवा बाजार जाने के लिए काफी लंबी दूरी तय कर जाते हैं। गांव से गुवा बाजार जाने का सबसे कम दूरी भारत आजादी के पहले से रेलवे द्वारा बनाया गया रेलवे ओवरब्रिज पार कर वे बाजार जाते हैं।

बताया जाता है कि ठाकुरा गांव से रेलवे द्वारा बनाया गया ओवरब्रिज पार कर गुवा जाने में स्थानीय रहिवासियों को मात्र 5 मिनट का समय लगता है। परंतु डीएमएफटी फंड द्वारा बनाया गया पुलिया से पार कर बाजार जाने में उन्हें लगभग 45 मिनट का समय लगता है। कम दूरी को लेकर स्कूली बच्चे भी जान हथेली पर डालकर रेलवे ओवरब्रिज पार कर स्कूल पढ़ने जाते हैं। जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है।

इस संबंध में झारखण्ड माइंस मजदूर यूनियन के महासचिव सह समाजसेवी वीरसिंह मुण्डा ने बताया कि रेलवे विभाग की ट्रेन ओवरब्रिज में अचानक आ जाने पर दो ही रास्ता बच जाता है, एक तो यह कि रेलवे ओवरब्रिज से कारो नदी में छलांग लगाना अथवा ट्रैक में आत्महत्या करना। उन्होंने बताया कि कुछ साल पूर्व कई दुर्घटनाएं हो भी चुकी है। कईयों ने अपनी जान गवा चुके हैं। कईयों ने ट्रेन के नीचे आने से बचने के लिए रेलवे ओवरब्रिज से कारों नदी से छलांग लगाया, तब भी वह अपनी जान नहीं बचा पाया।

बताया कि अचानक से आए ट्रेन से बचने के लिए रहिवासी मौत को आमंत्रण दे रहे है। यूनियन महासचिव सह समाजसेवी मुण्डा ने रेलवे विभाग से मांग की है कि रेलवे द्वारा बनाया गया ओवरब्रिज में जगह -जगह राहगीरों को अचानक से आए ट्रेन से बचने के लिए सेंटर बनाया जाए, ताकि वहां खड़ा होकर ट्रेन पार हो जाने के बाद रेलवे ट्रैक पार कर सके।

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