थियेटर संचालकों में भारी आक्रोश, मेला दर्शकों में भी मायूसी
प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित हरिहर क्षेत्र मेला का उद्घाटन हुए आज पांच दिन बीत गए, पर यहां लगे आधा दर्जन थियेटरों को अभी तक लाइसेंस नहीं दिया गया है।थियेटर संचालकों को इससे प्रतिदिन लाखों रुपए की आर्थिक क्षति हो रही है। जिससे उनमें रोष व्याप्त है।
ज्ञात हो कि, इन थियेटर संचालकों ने संबंधित मेला ठेकेदारों से ऊंची कीमत पर थियेटर लगाने के लिए जमीन प्राप्त किया। इसके बाद हीं अपने थियेटर लगाने की तैयारी आरम्भ की। जब थियेटरों का शामियाना, हॉल तैयार हो गया।कलाकारों के शिविर लग गए और वे शिविरों में आकर रहने भी लगे। ऐसे में मेला उद्घाटन के बाद चार दिनों तक थियेटरों को चालू करने के लिए लाइसेंस न देना, निश्चित रुप से थियेटर संचालकों को मायूस कर रहा है।
विदित हो कि हरिहर क्षेत्र मेला में मनोरंजन के लिए थियेटर देखने की लालसा रखने वाले राज्य के सुदूरवर्ती भागों से आते हैं। ऐसे में इन रंगीन मिजाज कला आशिकों को भारी निराशा हाथ लग रही है और वे मायूस होकर लौट रहे हैं।
यह मेला बिहार की राजधानी पटना और वैशाली जिला मुख्यालय के सर्वाधिक करीब है। वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर नारायणी नदी के पश्चिमी तट पर यह मेला लगता है। इसी के आसपास सरकारी एवं निजी जमीनों पर मनोरंजन का एक स्वरूप यह थियेटर भी है। अभी तक थियेटरों को चालू करने के लिए लाइसेंस नहीं मिलने से थियेटर संचालकों को आर्थिक मार झेलना पड़ रहा है।
सवाल उठना लाजमी है कि सारण जिला प्रशासन को तब ख्याल क्यों नहीं आता, जब थियेटर वाले अपना साजों-सामान और तामझाम सोनपुर मेले में लगा रहे थे। पहले भी थियेटरों के साथ ऐसा हो चुका है जब उन्हें समय पर लाइसेंस निर्गत नहीं किया गया। तब प्रशासन को मेला में आए दुकानदारों और व्यवसायियों का भी कोप भाजन बनना पड़ा था। दुकानें बंद हुई थीं। एक दिन की हड़ताल हुई और पूरे भारत वर्ष के प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक चैनलों ने इसे प्रसारित कर देश व् दुनिया की खबर बना दिया था। प्रशासन की जबर्दस्त छीछालेदर तब हुई थी।
इस वर्ष मेला में लगे थियेटरों की बात करें तो गाय बाजार और हाथी बाजार में एक-एक थियेटर लगे हैं।नखास एरिया में चार थियेटरों का शामियाना और तंबू तन कर खड़ा है पर सभी का स्टेज उदासीन है। दर्शक एक नजर थियेटरों पर डालते हैं इसके बाद उदासीन होकर लौट जाते है। दूसरी ओर थियेटर संचालक अभी भी लाइसेंस मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
इस संबंध में पूछने पर सोनपुर के अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम) आशीष कुमार ने बताया कि आज थियेटर और झूला संचालक की ओर से आवेदन दिया गया है, प्रक्रिया के बाद आज या कल लाईसेंस दे दिया जाएगा। विदित हो कि देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 1000 महिला और पुरुष कलाकारों का समागम हुआ है। एक थियेटर निर्माण की लागत लगभग 25 से 35 लाख रुपये आती है। एक थियेटर से लगभग 1000 कलाकारों, कारीगरो, वाद्य यंत्र चालन करनेवाले व् सन्य की आजीविका जुड़ी होती है।
इस बार आए थियेटरों में शोभा सम्राट थियेटर, गुलाब विकास आदि पर नजर डालते हैं तो सभी जगह एक ही नजारा नजर आता है। माहौल उदासी का है। व्यावसायिक दृष्टि से देखें तो इन थियेटरों की वजह से देर रात तक थियेटर एरिया की सड़कें गुलजार रहती हैं। इस एरिया में कश्मीर सहित देश के विभिन्न भागों से आए बड़े कपड़ा व्यवसायियों की दुकानें लगी हुई है और उनकी तब जबर्दस्त बिक्री होती है।
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