चित्रांश समाज ने श्रद्धापूर्वक किया भगवान चित्रगुप्त की पूजा

कलम लिखती है इतिहास और बनती है सभ्यता

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर प्रखंड के विभिन्न ग्रामीण हलकों में 3 नवंबर को श्रद्धापूर्वक भगवान चित्रगुप्त की पूजा की गयी।

इस अवसर पर चित्रांश समाज ने अपने कुल देवता ब्रह्मपुत्र चित्रगुप्त जी महाराज की पूजा – अर्चना की।इस दौरान चित्रगुप्त वंशजों ने समाज में परस्पर प्रेम-सौहार्द, शांति-भाईचारा, शिक्षित और सभ्य समाज निर्माण के लिए भगवान चित्रगुप्त महाराज से सामूहिक प्रार्थना की।

जानकारी के अनुसार सोनपुर प्रखंड क्षेत्र के भरपुरा, सबलपुर, नयागाव, शिकारपुर सहित नगर पंचायत क्षेत्र मे बसे चित्रांश समाज (कायस्थों) ने लेखनी देवता भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित कर पूर्णतः विधि विधान के साथ उनकी पूजा अर्चना की।

एक मान्यता अनुसार आज के दिन कलम -दवात और पुस्तक आदि की पूजा की जाती है, जिससे विद्या की प्राप्ति होती है। वहीं पूजा करने के बाद पूरे दिन कायस्थ वंशज आज दिन-रात कलम से लेखन कार्य नहीं करते हैं। यानि लेखन कार्य वर्जित रहता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ था। पुराणों के अनुसार चित्रगुप्त पूजा करने से विष्णु लोक की प्राप्ति के साथ साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। वहीं मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती है।

भरपुरा रहिवासी पत्रकार संजीत कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन कायस्थ वंशज अपने इष्ट देवता ब्रह्मा पुत्र चित्रगुप्त जी महराज के चित्र के सामने अपनी लेखनी (कलम), पुस्तकें, डायरी आदि रखकर उनकी विधि – विधान के साथ पूजा अर्चना करते है और प्रसाद के रूप में गाय के दूध, शक़्कर, अदरक, तुलसी, गंगाजल रख कर पंचामृत बनाते है और फल, मिठाई, पान, कसेली, फूल रखकर पूजा अर्चना कर अपने वार्षिक आय -व्यय का लेखा -जोखा लिखकर भगवान को पूर्ण करने के साथ घर मे सुख शांति की दुआएं मांगते है और कथा सुनते है।

इसके उपरांत लिखना – पढ़ना एक दिन बंद कर देते हैं। श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि इस दिन चित्रांश वंशज भगवान से आग्रह करते हैं कि हे ईश्वर समाज में प्रेम, सौहार्द, शांति बनी रहे, और रहिवासी शिक्षित हो और अच्छे समाज का निर्माण हो यही पूजा अर्चना करने का मुख्य उद्देश्य होता है।

वही मितलेश श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव अधिवक्ता ने बताया कि कलम इतिहास लिखती है और सभ्य समाज का निर्माण करती है। कलम को सभ्यता और संस्कृति का जादूगर कहा जाता है। वही अधिवक्ता विश्वनाथ सिंह ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त के पूजन सभी को करनी चाहिए, जिससे उन्हें ज्ञान मिल सके। कहा गया कि चित्रांश वंशज शिक्षा के प्रति जागरुक हैं। समाज को इनसे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा की लाठी के मार से तो हम ठीक हो सकते हैं, लेकिन कलम की मार से कोई जल्दी ठीक नहीं होता है।

इसलिए तो कायस्थ जाति के रहिवासी लेखनी को भगवान का बरदान मानते है। समाजसेवी लालबाबू पटेल ने कहा कि चितगुप्त वंशज मारपीट, कूटनीति विचार से दूर रहकर मधुरभाषी होते है, तभी तो कायस्थ वंशज अपनी कलम से ही ज्ञानवान होकर देश और दुनिया में परचम लहरा रहे हैं।

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