विष्णुगढ़ के प्रवासी मजदूर की पुणे में सड़क हादसे में मौत

प्रहरी संवाददाता/बगोदर (गिरिडीह)। झारखंड के प्रवासी मजदूरों के मौत का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। लगातार हो रहे मौत की घटना के बाद भी राज्य सरकार द्वारा अबतक इस ओर समुचित ध्यान नहीं दिया जाना समझ से परे है।

जानकारी के अनुसार हजारीबाग जिला के हद में विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के जोबर पंचायत टोला फुसरो रहिवासी उतिम चंद्र करमाली के 36 वर्षीय पुत्र नागेश्वर करमाली की महाराष्ट्र के पुणे के अहमदनगर में हुई सड़क हादसे में मौत हो गयी। करमाली के मौत की सूचना मिलते ही परिजन सकते में है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं गांव वाले भी शोक में हैं।

बताया जाता है कि मृतक नागेश्वर करमाली लगभग एक वर्ष पूर्व काम करने के लिए घर से गया था। वह एक पोकलेन ऑपरेटर था। बताया जाता है कि बीते 19 अक्टूबर की संध्या करमाली दिन में अपने रुम के बगल क्रेशर में काम कर शाम को लौटा था।

वह रुम के बगल सड़क किनारे बैठा था, कि रात्रि लगभग 10 बजे दो पिकअप वैन एक आगे पीछे जा रही थी आगे की पिकअप वैन ने करमाली को ठोकर मार दिया जिससे असंतुलित होकर वह सड़क किनारे गिर गया, जबकि पीछे से आ रहे दूसरा पिकअप वैन ने उसे रौंद दिया।

जिसमें उसकी घटनास्थल पर हीं मौत हो गयी। घटना के बाद दोनों वाहन फरार भाग गया। बाद में बगल के क्रेशर में लगे सीसीटीवी के रिकॉर्ड विडियो के माध्यम से घटना की स्थिति को देख पुलिस प्रशासन ने छानबीन के बाद आरोपी वाहन को जब्त कर लिया। उसके बाद आगे की प्रक्रिया में जुट गई है।
मृतक अपने पीछे पत्नी 34 वर्षीय सावित्री देवी, 13 वर्षीय पुत्र पवन कुमार, 11 वर्षीया पुत्री पम्मी कुमारी, 7 वर्षीय परी कुमारी, वृद्ध पिता 61 वर्षीय उतिम चन्द्र करमाली, माता 56 वर्षीय चंदवा देवी को छोड़ गया है।

घटना की सूचना पाकर जोबर पंचायत के मुखिया चेतलाल महतो मृतक के घर पहुंचकर शोक प्रकट करते हुए परिवार को ढांढस बंधाया।वही मुखिया महतो ने परिजनों को सरकार से उचित मुआवजे और शव को गांव लाने की मांग की है। साथ ही कहा कि इससे पहले भी कई प्रवासी मजदूर की मौत हो चुकी है।

रोजी- रोटी की तलाश में परदेस गये प्रवासी झारखंडी मजदूरों की मौत का सिलसिला जारी है। हर रोज झारखंड के किसी न किसी इलाके के प्रवासी मजदूर की दूसरे राज्यों या विदेश में मौत की खबरें आ रही है।

ज्ञात हो कि झारखंड में प्रवासी मजदूरों की सबसे ज्यादा तादाद हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिले से है। ऐसे में सरकार को रोजगार की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि मजदूरों का पलायन को रोका जा सके।

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