आकाल प्रभावित क्षेत्रों में पानी पहुंचाने की योजना
मुंबई। देश में गहराते जल संकट को देखते हुए एक्टिविस्ट संजय पांडे ने पानी का अधिकार कानून बनाने की मांग की है। मौजूदा समय मे राज्य के लगभग 29000 गाँव सूखे की चपेट में हैं। इससे बड़े पैमाने पर खेती के साथ -साथ जान -माल का नुकसान हो रहा है। इसे देखते हुए एक्टिविस्ट पाण्डेय ने जनहित में यह मुद्दा उठाया है। इसके अलोक में उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस को मांग पत्र सौंपा है।
गौरतलब है कि ”पानी का अधिकार” कानून की मांग के साथ एक्टीविस्ट संजय पाण्डेय ने देश के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट के मैदानों पर निसाना साधा है। उन्होंने क्रिकेट के मैदानों के रखरखाव में होने वाले पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवाज बुलंद की है। इस मुद्दे पर पाण्डेय ने महाराष्ट्र के सी एम देवेन्द्र फडणवीस को एक पत्र भी सौप है। उनका अगला निसाना हाकी और फुटबॉल जैसे अन्य खेलों का मैदान भी है।
निशाने पर खेल के मैदान : राज्य के दर्जनों मुख्य शहरों में कम से कम चार से पांच बड़े खेल के मैदान हैं जो विशाल क्षेत्र को कवर करते हैं। पाण्डेय ने कहा कि अनुमानित आंकड़ों के अनुसार क्रिकेट के मैदान में नियमित रखरखाव के लिए प्रति माह लगभग 40000 लीटर पानी की जरूरत होती है। इसलिए देश के सभी क्षेत्र के खेलों के मैदानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी की कुल मात्रा अकल्पनीय होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) ने कुछ दिनों पहले बाम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया था कि इंडियन प्रीमियर लीग मैचों के दौरान मुंबई, पुणे और नागपुर में तीन पिचों के रखरखाव के लिए लगभग 6000000 लीटर पानी की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि हर साल आयोजित होने वाली आईपीएल शृंखला के दौरान मैदान के रखरखाव के लिए प्रतिदिन लगभग 60000 लीटर पानी की खपत होती है। पाण्डेय ने खेल निकायों से आग्रह किया कि वे पुर्ननवीनीकरण (रीसाइकिल्ड) पानी का उपयोग करें। ताकि शहर के जल संसाधनों का बोझ कम किया जा सके। उन्होंने वर्षा जल संचयन प्रणालियों के माध्यम से इकट्ठा किए गए पानी का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि कैलिफोर्निया में रबो बैंक एरिना,यूके में लार्ड्स और आस्ट्रेलिया में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में रखरखाव के लिए पुर्ननवीनीकरण (रीसाइकिल्ड) पानी का उपयोग किया जाता है।
मैदानों के मुद्दे पर सीएम से मिले पाण्डेय : महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों के गांवों का दौरा करने वाले संजय पाण्डेय ने जल संकट को बहुत करीब से देखा है। उनके प्रयासों से मुंबई वाटर वारियर्स नामक संस्था का गठन किया गया है,जो मुंबई जैसे शहरों में बचाए गए पानी को नियमित रूप से महाराष्ट्र के अकाल प्रभावित गांवों तक पहुँचाने का काम करेगी। मुंबई वाटर वारियर्स में बनाई गई कार्यनीति का मुख्याधार शिक्षित करना और जागरुकता फैलाना है। संजय पाण्डेय के नेतृत्व में मुंबई वाटर वारियर्स द्वारा एक महीना के प्रसार में आकर्षक आनलाइन प्रतियोगिताआें एवं आफ लाइन कार्यक्रमों के द्वारा सभी को चरणबद्ध करने का प्रस्ताव है। इस अभियान में बच्चे, बुढ़े व हर आयु के लोगों को जोड़ा जाएगा। पाण्डेय ने कहा जल मनुष्य के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और हम उम्मीद करते हैं कि सभी जिम्मेदार लोग पानी के संरक्षण और उसका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने में जमीनी स्तर पर ठोस पहल करेंगे। संजय पाण्डेय ने अपनी सभी सामाजिक गतिविधियों का संचालन नानाजी देशमुख प्रतिष्टान नामक गौरसरकारी संस्था के नाम से कर रहे हैं,जो अब आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।
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