एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना की सांस्कृतिक संस्था लोक पंच द्वारा 9 से 12 अक्टूबर तक शेखपुरा जिला के हद में बरबीघा के बेलाव में 4 दिवसीय दशरथ मांझी नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
महोत्सव के दूसरे दिन 10 अक्टूबर की रात्रि आठ बजे से लोक पंच द्वारा मनीष महिवाल निर्देशित नाटक खेल की प्रस्तुति की गयी। उक्त नाटक की कहानी के अनुसार चंदा एक छोटी बच्ची है, जो क्रिकेट खेलती है। उसके माता पिता उसे पढने के लिए स्कूल नहीं भेजते और घर का काम करवाते है। चंदा क्रिकेट खेलना चाहती है और देश का नाम रोशन करना चाहती है, पर उसके माता-पिता जल्दी से जल्दी उसकी शादी करवाना चाहते है। वह अपने माँ बाप से लुक-छिपकर क्रिकेट खेलती है।
वह स्कूल की प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती है। उसके लिए उसका स्कूल में दाखिल होना आवश्यक है। इधर उसके अभिभावक पंडित जी के माध्यम से एक दूल्हा खोज कर शादी की तैयारी करते हैं। चंदा के बार-बार मना करने के बाद भी उसके माता-पिता नहीं मानते और बच्ची को शादी के मंडप पर बिठा देते हैं। रिश्तेदार और गांव के गणमान्य शादी में शामिल होने के लिए उपस्थित रहते हैं और शादी शुरू हो जाती है।
इसी बीच स्कूल के प्रिंसिपल आते है और उन्हें समझाते है कि यह बाल विवाह है। यह कानूनन अपराध है। आप सभी को सजा हो सकती है। इसके अलावा प्रिंसिपल सरकार की योजना के बारे में भी बतलाता है, जिसके तहत बच्चों के सर्वांगींण विकास के लिए काम किया जा रहा है, ताकि बच्चे अपनी रूचि के अनुसार खेल- कूद, चित्रकला एवं हस्तकला आदि में दक्ष हो सके और इसी क्षेत्र में आगे बढ़ सके।
समझाने के बाद लड़की के माता-पिता एवं गांव वालो को समझ में आता है, और शादी को रोक दी जाती है। स्कूल के प्रिंसिपल चंदा का नाम स्कूल में लिखवाते है और उसे स्कूल के क्रिकेट टीम में शामिल करते हैं। नाटक खेल में पिता का किरदार रजनीश पांडेय, बेटी हेमा, पंडित रोहित कुमार, माता दीपा दीक्षित, मौसी ममता सिंह, दूल्हा अरबिंद कुमार, फूफा राम प्रवेश, जीजा गौरव कुमार, दोस्त अरबिंद कुमार, अजीत कुमार तथा अभिषेक राज, सहेली नीलम कुमारी व् प्रिंसिपल का किरदार नाटक के लेखक निर्देशक मनीष महिवाल ने निभाया है।
जबकि, मंच से परे नैपथ्य में प्रकाश राज कुमार, लोक गायन ममता सिंह, संगीत अभिषेक राज, नाल पर संगत राम अयोध्या, इफेक्ट नीरज शुक्ला, रूप सज्जा सोनल कुमारी, वस्त्र विन्यास रितिका महिवाल, प्रस्तुति नियंत्रक रजनीश पांडेय द्वारा नाटक को जीवंत बना दिया है।
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