सारंडा वन प्रमंडल द्वारा करमपदा में मनाया गया 75वां वन महोत्सव

सारंडा के जंगलों को आग से बचाना है-डीएफओ

सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। झारखंड के कोल्हान क्षेत्रीय के सारंडा वन प्रमंडल के तत्वावधान में ससंगदा प्रक्षेत्र, किरीबुरु के करमपदा मैदान में 4 अक्टूबर को 75वां वन महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव समारोह में मुख्य अतिथि सारंडा के डीएफओ अभिरुप सिन्हा द्वारा रहिवासियों से एक पेड़ मां के नाम लगाने का अनुरोध किया गया।

इस अवसर पर डीएफओ सिन्हा ने कहा कि वर्षों से वन विभाग सारंडा के वनों की सुरक्षा आपके सहयोग से की जा रही है। यह ऐतिहासिक है। सारंडा वन क्षेत्र मुल रूप से हाथी बहुल क्षेत्र है। कहा कि हाथियों के आवागमन को लेकर संवेदनशील रहें। हाथी व तमाम वन्यप्राणी जंगल व हमारे अंग तथा शोभा हैं।

डीएफओ ने कहा कि जंगलों को हमें आग से बचाना है। जंगल में आग स्वयं नहीं लगती, बल्कि हम लगाते हैं। इस आग से विभिन्न बीमारियों की दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाली करोड़ों की औषधियां जल जा रही हैं। सरकार आपकी आजीविका व स्वरोजगार हेतु अनेक योजना चला रही है।

सेल की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु प्रबंधन भी वन संरक्षण के अनेक कार्य कर रही है। वे एक चलंत चिकित्सा वाहन सारंडा के गांवों में सेल से चलवाने हेतु प्रयासरत हैं। पालतू जानवरों का इलाज हेतु भी कैंप आयोजित की जाएगी। हम सभी को साथ मिलकर सारंडा जंगल रुपी ऐतिहासिक व प्राकृतिक धरोहर को बचाना है। आजीविका के लिये कुछ भी सुझाव आप दें, हम सहयोग करेंगे।

इससे पहले समारोह का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि डीएफओ अभिरुप सिन्हा, विशिष्ट अतिथि संलग्न पदाधिकारी आईएफएस नीतीश कुमार, परम्परागत ज्ञान एवं वन औषधि विकास फाउंडेशन छत्तीसगढ़ के निदेशक डॉ निर्मल कुमार अवस्थी, जीप सदस्य देवकी कुमारी, किरीबुरु रेंजर शंकर भगत, गुवा रेंजर परमानन्द रजक, कोयना के रेंजर राम नंदन राम, सेल किरीबुरु के उप महाप्रबंधक प्रवीण कुमार, सेल मेघाहातुबुरु के सहायक महाप्रबंधक संदीप भारद्वाज, मुखिया लिपि मुंडा, सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम, मुखिया राजू सांडिल, मुखिया पार्वती किड़ो, मुखिया प्रफुल्लीत ग्लोरिया तोपनो, पूर्व प्रमुख जीरेन सिंकु आदि ने दीप प्रज्वलित कर किया।

समारोह में पश्चिम सिंहभूम जिला परिषद अध्यक्ष देवकी कुमारी ने कहा कि हम खुशनसीब हैं कि सारंडा जैसे जंगल में रहते हैं। ऐसे क्षेत्र में जाने के लिये पर्यटको को काफी पैसा खर्च कर और बहुमूल्य समय बर्बाद कर जाना होता है। इस जंगल को हम अगर बचा नहीं पाये तो हम स्वयं को कभी माफ नहीं कर पायेंगे। कहा कि सारंडा की महिलायें पर्यावरण प्रेमी हैं तथा वे इस दिशा में पुरुषों से अधिक कार्य कर रही हैं। अपने जीवन को स्वस्थ व सुरक्षित बनाने के लिये न सिर्फ जंगल बचाना है, बल्कि अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना होगा।

आईएफएस नीतीश कुमार ने कहा कि सारंडा के पूर्वजों को ज्ञान था कि 10 पुत्र के बराबर एक पेड़ होता है। एक पेड़ के नष्ट होने से यहां का जलस्तर घटेगा, जिससे सभी प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पडे़गा। आपके पास प्राकृतिक जल स्रोत, शुद्ध पेयजल, शुद्ध हवा आदि सब कुछ मिल रहा है। कोरोना महामारी से इस जंगल ने आपको बचाया। पर्याप्त आक्सीजन दिया। वन विभाग सारंडा में चेकडैम व पर्यटन का विकास कर रही है, ताकि आपका विकास हो। आप जंगल को आग से नहीं बचाते हैं, जिससे करोड़ों रुपये की औषधि जलकर नष्ट हो रही है।

डॉ निर्मल कुमार ने कहा कि वन ही हमारा जीवन है। उन्होंने कहा कि वन हमें सब कुछ देता है। शहरों में लकड़ी 60 रुपये किलो खरीदते हैं, लेकिन आपको लाखों रुपये की लकड़ी जलावन हेतु, शुद्ध हवा, स्वच्छ वातावरण, अनमोल व जीवन रक्षक औषधियां मुफ्त मिलती हैं। जहां वन है वहां बीमारियां व गरीबी तथा उसका समाधान भी है। लेकिन हम अपनी परम्परा, पर्यावरण व संस्कृति को खत्म कर रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो जंगल सिर्फ किताबों में ही देखने को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि वन संरक्षित व विकसित होगा तो मानव विकसित होगा। इस जंगल में 182 प्रकार की औषधि है जो आपकी किस्मत बदल सकती है। आपको विशेष रणनीति के तहत आजीविका व आरोग्यता हेतु इन औषधियों की पहचान कर इसके जरिये भारी मुनाफा कमा कर सारंडा के तमाम गांवों के बेरोजगार रोजगार पा सकते हैं। हमें जंगल को तमाम प्रकार की विपदाओं, माफियाओं, आग आदि से बचाना है, अपने व पूरे समाज के लिये।

मानकी लागुड़ा देवगम ने कहा कि सारंडा जंगल हमें विकट परिस्थितियों में भी कभी भी भूखे रहने नहीं दिया। यह हर मौसम में विभिन्न प्रकार के पौष्टिक आहार, बीमारी से मुक्ति हेतु औषधि देने का काम किया है। आज हम उसी जंगल को माफिया के मामूली लोभ में आकर नष्ट कर रहे हैं। अगर यह जंगल नहीं रहा तो हम नहीं रहेंगे, और हमारी आने वाली पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी।

इस दौरान सैकड़ों ग्रामीणों के बीच सेल किरीबुरु-मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन द्वारा महुआ चुनने का नेट, अनाज रखने का बर्तन, सोलर टार्च, चार्जेबल टार्च, सोलर लालटेन का वितरण किया गया। यहां अतिथियों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर दर्जनों पौधा लगाये। वन्य प्राणी सप्ताह के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता बच्चों को पुरस्कृत किया गया।

इस दौरान मुंडा राहुल नायक, मुंडा राजेश, मुंडा मंगरा, मुंडा बिनोद होनहागा, मुंडा गंगाराम होनहागा, शंकर पांडेय, छोटेलाल मिश्रा, शालिनी कन्डुलना, संगीता लकडा़, विजेन्द्र तामसोय, अमृत सुन्डी, बासुदेव बिरुवा, मंगल हरिहर समद, मानस प्रधान, मनोज माझी, निर्मल महतो, कुशो मुंडा आदि उपस्थित थे।

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