एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। भाजपा नेतृत्व यदि आदिवासी समाज और झारखंड के रहिवासियों के उत्थान में विश्वास करती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरना धर्म कोड बिल एवं विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा करे।
उपरोक्त बाते 15 सितंबर को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरा पर आने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में उक्त बातें कही।
नायक ने कहा कि अगर उक्त दोनो घोषणा भाजपा नेतृत्व नहीं करती है तो यह माना जायेगा कि भाजपा मगरमच्छ की तरह आदिवासी एंव झारखंडी समाज के लिए सिर्फ घड़ियाली आँसु बहा कर येन केन प्रकारेण झारखंड की सत्ता मे आना चाहती है।
नायक ने कहा की झारखंड सरकार ने 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा मे विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड बिल को लागू करने की मांग को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।
कहा कि झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बंगाल विधानसभा में आदिवासियों के सरना धर्म कोड को मान्यता देने से संबंधित यह प्रस्ताव बिना किसी विरोध के ध्वनि मत से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है। बावजूद इसके आज 5 वर्ष होने को है। इस दिशा में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र की सरकार ने कोई सकारात्मक ठोस पहल नहीं की है, जो निंदा का विषय है।
साथ हीं आदिवासी समाज के साथ अन्याय भरा कदम भी है।
नायक ने कहा कि आदिवासियों के वजूद बचाने के लिए इन मांगों की मंजूरी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड बिल एवं झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की अगर प्रधानमंत्री घोषणा करते है, तो झारखंड में होनेवाली विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का सुपड़ा साफ होने से बचा जा सकता है।
इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव से पूर्व यह दोनों महत्वपूर्ण बिंदु पर भाजपा नेतृत्व एवं प्रधान मंत्री अपना स्टैंड को स्पष्ट करे, ताकि भाजपा आदिवासी समाज एवं झारखंडी समाज के विश्वास को पून: जीत सकती है। इसके अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं। इसलिए यह दोनों महत्वपूर्ण बिन्दु को आने वाले शीतकालीन सत्र मे दोनो सदनों से पारित कर उसे कानून बनाकर आदिवासी समाज के बीच खोए हुए विश्वास को पुनः प्राप्त करे।
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