एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिले में धूमधाम से मनाया गया हरतालिका तीज व्रत। शहरी तथा ग्रामीण हलकों में शत प्रतिशत सुहागिन महिलाओं ने इस पुजा में अपनी सहभागिता निभाई।
इस अवसर पर बोकारो जिला के हद में कथारा में सुहागिन महिलाओं ने हरतालिका तीज पर्व निर्जला रहकर पूजा पूर्ण की। इस क्रम में कथारा के गायत्री कॉलोनी, स्टॉफ कॉलोनी, रसीयन कॉलोनी, रेलवे कॉलोनी, कथारा चार नम्बर, कथारा बस्ती, बाँध बस्ती, बोड़िया वस्ती, आईबीएम कॉलोनी सहित आसपास के इलाकों में तीज पर्व को लेकर सुहागिनों ने दिनभर निर्जला उपवास रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए माता पार्वती एवं भगवान शंकर की पूजा की।
तीज पर्व के अवसर पर सुहागिनों ने नए-नए वस्त्र धारण कर तथा सोलह शृंगार कर मंदिरों तथा घरों में सामूहिक रूप से हरतालिका व्रत कथा श्रवण कर पूजा की। कथारा दो नम्बर मंदिर के पुजारी राजेन्द्र मिश्रा व गुप्तेश्वर पांडेय ने कथारा चार नम्बर, कथारा दो नम्बर शिव मंदिर में सुहागिनों को विधिवत पुजा करा कर माता पार्वती एवं शंकर भगवान की कथा सुनाई। कहा कि यह संकल्प शक्ति का प्रतीक है।
सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है। इस दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन माना जाता है।
पुजारी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि हरितालिका व्रत कथा के अनुसार माता पार्वती देवाधिदेव शिव को पति के रूप में पाने के लिए 12 वर्षों तक वन में कठोर तपस्या की। पूजा के प्रभाव से भगवान शिव प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन देते हुए पति के रूप में स्वीकार करने का वर दिया।
इसी मान्यता को लेकर कुमारी कन्या सुयोग्य पति पाने के लिए एवं विवाहिता अपने पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ तीज व्रत करती हैं। उन्होंने कहा कि व्रत के दौरान निराहार रहकर शिव-पार्वती का पूजन किया जाता है। महिलाएं लगातार 24 घंटे निराहार रहती है। दूसरे दिन विधि पूर्वक पूजन कर व्रती अन्न-जल ग्रहण करती है।
इस अवसर पर महिलाओं द्वारा अपने-अपने घरों में भी पूजा को लेकर विशेष तैयारी की गई थी। सुबह से ही पूजा-अर्चना का दौर चल रहा था। जो देर शाम तक जारी रहा। पतियों ने भी पूजन-अनुष्ठान में सहयोग करते हुए पूजा की आवश्यक तैयारियों में हाथ बंटाया। व्रत वाले दिन रात में सोना वर्जित माना गया है। इस दिन रात में भजन और तीज के गीत गाते हुए सुबह तक जगे रहना होता है। व्रत के दिन सोलह श्रृंगार करना जरूरी है।
हिंदू मान्यता के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती है। जबकि कुंवारी कन्याओं द्वारा मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत की जाती है। हरतालिका तीज पर अपनी सास को या अपने घर की बड़ी महिला को सुहाग और श्रृंगार सामग्री सजा कर सिंधारा के रूप में दिया जाता है। नई नवेली दुल्हन के लिए यह व्रत बेहद अहम होता है।
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