एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने सभी डीआइजी, एसएसपी और एसपी को सख्त निर्देश दिया है कि आम जनता के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों को चिह्नित करें एवं अविलंब थाना से हटायें।
बताया जाता है कि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता को विभिन्न श्रोतो से जानकारी मिल रही है कि राज्य के कई जिले में थाना प्रभारी तथा थाना के अन्य कर्मी विशेषकर मुंशी आम जनता से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। जनता की शिकायतों पर थाना में रिसिविंग नहीं देते हैं। इस कारण भुक्तभोगी भटकते रहते हैं।
उन्हें उचित न्याय नहीं मिल पाता है। इसे गंभीरता से लेते हुए डीजीपी ने राज्य के सभी एसएसपी और एसपी को कई निर्देश जारी किये हैं। डीजीपी ने सभी डीआइजी, एसएसपी और एसपी को सख्त निर्देश दिया है कि आम जनता के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों को चिह्नित करें एवं अविलंब थाना से हटाये। सभी पुलिसकर्मियों को जानकारी दें कि वे समाज और जनता के सेवक व सुरक्षाकर्मी हैं, न कि उनके मालिक।
पुलिस कर्मी सेवक की तरह ड्यूटी करें। ज्ञात हो कि बीते दिनों धनबाद जिला के हद में मैथन थाना में सामाजिक कार्यकर्त्ता नगेन्द्र कुमार कुशवाहा द्वारा धमकी दिए जाने की घटना को लेकर मामला दर्ज कराने गये थे। थाना प्रभारी की अनुपस्थिति में थाना के दूसरे अधिकारी द्वारा आवेदन लेने में आनाकानी करने तथा बेवजह एक घंटा से अधिक समय रोके रखे जाने की शिकायत कुशवाहा द्वारा डीजीपी गुप्ता से की गयी थी।
कुशवाहा के अनुसार उन्हें 3 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट सहारा मामले में जन सुनवाई को लेकर पहुंचना था। बावजूद इसके थाना द्वारा धमकी मामले में सज्ञान नहीं लिया जा रहा था। उक्त शिकायत को डीजीपी गुप्ता ने गंभीरता से लेते हुए राज्य के तमाम पुलिस पदाधिकारियों तथा पुलिस कर्मियों को सख्त निर्देश दिया है।
डीजीपी ने निर्देश दिया है कि यदि साइबर अपराध, एसटी/एससी, ह्यूमन ट्रैफिकिंग एवं महिला अपराध से संबंधित भुक्तभोगी किसी आम थाने पर आता है, तो उसे क्रमश: साइबर, एससी/एसटी, एचटूयू या महिला थाना जाने की सलाह दी जाती है, जो पूर्णत: गलत है। यदि किसी जिले में महिला अपराध व साइबर अपराध के लिए अलग से थाना खुला है, उसका मतलब कत्तई नहीं है कि जिले के अन्य थानों में इस संबंध में एफआइआर दर्ज नहीं की जा सकती।
जैसे ही इस प्रकार का मामला मिले, अविलंब उक्त थाना प्रभारी को थाना से हटा दें और उनके विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करें।डीजीपी के अनुसार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएसएस)173 में स्पष्ट प्रावधान है कि अपराध क्षेत्र पर बिना विचार किये, थाना प्रभारी जीरो एफआइआर दर्ज करे।
यदि कोई थाना प्रभारी इसका अनुपालन नहीं करता है तो स्पष्ट है कि वह कानून का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि आमजन शिकायत लेकर वरीय अधिकारियों के पास आसानी से जायें, ऐसी व्यवस्था बनायें। डीजीपी ने सभी डीआइजी और एसपी को निर्देश दिया है कि अपने-अपने जिले और क्षेत्र में ऐसी व्यवस्था बनायें कि आम जनता अपनी शिकायत को वरीय अधिकारियों के पास दर्ज करा सके।
विशेषकर जहां पर थाना प्रभारी फरियादियों की शिकायत पर कार्रवाई नहीं करते हैं। डीजीपी ने झारखंड के सभी एसएसपी व एसपी को सख्त निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि बहाने बनाकर एफआइआर दर्ज नहीं करने वाले थाना प्रभारियों को अविलंब हटाये। साथ हीं डीजीपी ने कहा है कि, एफआइआर दर्ज कर अविलंब रिसीविंग दें वर्ना संबंधित थाना के मुंशी नपेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मी समाज और जनता के सेवक व सुरक्षाकर्मी हैं, न कि मालिक।
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