क्या इस बार टोपी पहनेंगे मोदी?

विशेष संवाददाता/ मुंबई। रमजान शरीफ में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से घमासान मचा है, राजनीति के गलियारे में चर्चा का सबसे ताजातरीन मुद्दा टोपी पहनने का बना हुआ है, वहीं अब सियासी हलकों में यह सवाल उछलने लगा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या रमजान में मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का मौका लपकेंगे या छोड़ेंगे? खासकर मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और दिल्ली दरबार की सत्ता के हाईवे उत्तर प्रदेश पर सबकी नजर इस बात पर होगी।

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के दौरान रमजान शरीफ की इफ्तार पार्टियों में शमिल होंगे? अगर गए तो क्या टोपी पहनेंगे? जैसा देश वैसा भेष वाले मुहावरे को चरितार्थ करने वाले देश के तेज तर्रार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब इन सवालों की गुत्थी सुलझाने में लगे हैं, क्योंकि उन्हें मुस्लिम मतदाओं को भी रिझाना है। अब तक चोला बदल-बदल कर देश और दुनिया का सैर करने वाले मोदी के सामने टोपी पहन कर इफ्तार पार्टियों में शामिल होना बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि हिंदुत्व का राग अलापने वाले आरएसएस और शिवसेना की नजर चुनाव के दौरान मोदी पर होगी।

अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में टोपी पहनते हैं, तो इसका असर यूपी के साथ-साथ महाराष्ट्र में जरूर दिखाई देगा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ टोपी न पहनने का दम भरते रहते हैं। इसी बूते उन्होंने आरएसएस के पाले में अपनी मजबूत जगह भी बना रखी है। इसी कट्टरता के चलते उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य को यूपी के सीएम पद के दावेदरी से हाशिए पर डलवा दिया। लेकिन मोदी के सामने योगी का कद अभी भी बौना है। अब देखना यह है कि मोदी यदि टोपी पहनते हैं, तो योगी क्यों टोपी नहीं पहनेंगे, और यदि दोनों ही नेता टोपी नहीं पहनते तो यूपी में लोकसभा की कई सीटों पर निर्णायक स्थिति रखनेवाले मुस्लिम मतदाताओं के बीच क्या संदेश जाएगा।

गौरतलब है कि भाजपा के मजबूत अल्पसंख्यक नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने यूपी में पीएम मोदी और सीएम योगी को इफ्तार का आमंत्रण देने वाले है, इसी तरह महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष (मंत्री पद दर्जा) हाजी अराफत जैसे कद्दावर अल्पसंख्यक नेता भी निश्चित ही पीएम मोदी और राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस को इफ्तार में बुलाएंगे।

यूपी की तरह ही महाराष्ट्र में भी मोदी की टोपी पर सबकी नजर होगी, क्योंकि यहां शिवसेना हिंदुत्व की सबसे बड़ी लंबरदार होने का कोई मौका नहीं चूकती और गाहे-बगाहे भाजपा पर प्रहार भी करती रहती है। यदि महाराष्ट्र में पीएम मोदी टोपी धारण करते हैं, तो शिवसेना को बयानों के बाण बरसाने का एक और मौका मिल जाएगा।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि शिवसेना और भाजपा ने मतदाताओं से आंख मिचौली की एक व्यापक रणनीति बना रखी है। दोनों समय-समय पर एक-दूसरे पर वार करते रहते हैं, लेकिन सत्ता की मलाई साथ में ही खाते है। यह उदाहरण निगम से लेकर विधानसभा-लोकसभा चुनावों में देखने को मिलता है। हालांकि हमेशा शिवसेना की कोशिश यही होती है कि हिंदुत्व की लंबरदार वही नजर आए।

अभी हाल ही में अमरावती के एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरेमंच कह चुके हैं कि उनका (भाजपा) और शिवसेना का गठबंधन (युति) फेविकोल की तरह मजबूत जोड़ है। लेकिन मोदी के टोपी धारण करते ही शिवसेना इस जोड़ को खुरचने का भव्य प्रदर्शन करने से नहीं चूकेगी। सियासत की कुछ मजबूरियां होती हैं, लेकिन सत्य यह है कि लोकतंत्र सियासत की मजबूरियों का मोहताज नहीं होता। भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति कांग्रेस और भाजपा के सियासी गणित से कहीं अधिक पैठ रखती है। ऐसे में मोदी की टोपी पर सबकी नजर होना स्वाभाविक है।

 


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