एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा नदी से बालू निकासी पर रोक लगाने के बाद झारखंड में बालु की कालाबजारी, दोगुने दामो पर इसकी बिक्री जोरो पर है। जनता हो रही है परेशान और जिला खनन पदाधिकारी धृतराष्ट्र बने हुए है। इस मामले में सीएम संज्ञान ले।
उपरोक्त बातें 2 जुलाई को संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व् झारखंड, छत्तीसगढ़ प्रभारी विजय शंकर नायक ने राज्य में बालू की कालाबाजारी किए जाने पर 2 जुलाई को अपनी प्रतिक्रिया में उक्त बातें कही।
नायक ने कहा कि एनजीटी की रोक के बाद भी झारखंड में अवैध बालू की कालाबाजारी शुरू हो गई है। दोगुने दामों पर इसकी बिक्री हो रही है। आमजन परेशानी उठा रहे है। नायक ने कहा कि एनजीटी के नदी से बालू निकासी पर रोक के बाद झारखंड की राजधानी रांची में बालू की कालाबाजारी शुरू हो गई है। यहां 3000 रुपये का बालू 6000 रुपये प्रति ट्रेक्टर बेचा जा रहा है। ऐसे में यहां के रहिवासियों को अपने घर का निर्माण करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नायक ने बताया कि एनजीटी ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक बालू के उत्खनन पर रोक लगा दिया है, फिर भी आज संपूर्ण झारखंड के विभिन्न जिलो के नदियों से बालू की निकासी एवं अवैध उत्खनन जोरों से जारी है। जिला प्रशासन व जिला खनन पदाधिकारी धृतराष्ट्र बन कर आंख मूंदकर सब देख कर अवैध खनन के खेल को बढ़ावा दे रहे है।
उन्होंने कहा कि रांची शहर में 6000 रुपये में बिक रहा है 3000 रुपये वाला 100 सीएफटी बालू। नायक ने कहा कि मई और जून माह में आमजन अपने घरों का निर्माण करते हैं, जिससे बालू की जरुरत बढ़ जाती है। कहा कि जनवरी माह में सभी शहरो में बालू 3000 रुपये प्रति 100 सीएफटी बेचा जा रहा था।
वहीं मार्च में इसके दाम बढ़कर 4000 रुपये हो गये। अब 6000 रुपये में एक ट्रेक्टर बालू शहरो में बेचा जा रहा है। जिला प्रशासन और खनन विभाग अनदेखी का खेल कर रहा है।आज नदी के अंदर भी सुरक्षित नहीं बालू। माफिया किस्म के सफेदपोस अवैध बालू की निकासी धडल्ले से कर रहे हैं।
इसको रोकने वाला कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि बालू माफिया नदी में पहले ट्रेक्टर जाने का रास्ता बनाते हैं, इसके बाद जिस घाट में अधिक बालू है वहां जेसीबी मशीन लगा कर 8-10 ट्रेक्टर से बालू को नदी से निकाल कर एक किनारे डंप कर रहे है।
वहीं दूसरी ओर जहां बालू पानी के अंदर रहता है तो 6 ड्रामों के ऊपर पट्टा बांध कर मजदूर नदी के अंदर से बालू निकाल कर पट्टा में जमा करते हैं। उसके बाद बालू को किनारे लाकर ट्रेक्टरों में भरा जाता है। इससे नदी का जीवन भी बालू माफिया खत्म करते हैं।
नायक ने बताया कि रात और सुबह 3:30 बजे में होता है बालू का बड़ा कारोबार। नदी से निकाल कर डंप किये स्थान से बालू माफिया ट्रेक्टर, डंपर व हाईवा में बालू की सप्लाई करते हैं। शहर में नो इंट्री खुलते ही ट्रकों के साथ अवैध बालू भी बड़े स्तर पर पार होता है।
नायक में कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रुचि लेकर इस बालू के अवैध व्यापार को रोकने की दिशा में विशेष टास्क फोर्स का गठन कर 24 घंटा छापामारी अभियान चलाना चाहिए, ताकि नदी का भी जीवन बच सके और आम जनता को भी बालू के कीमतों से राहत मिल सके।
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