मोदी राज में सुरक्षित नहीं बच्चे और महिलाएं
प्रहरी संवाददाता/ मुंबई। वाशीनाका के बर्मा सेल रेल लाइनों पर बढ़ते हादसे, छिनतई और छेड़-छाड़ पर लगाम कसने के लिए स्थानीय समाजसेवकों ने शरदनगर या इस्लामपुरा से मुकुंद नगर तक पादचारी पुल या भूयारी मार्ग बनवाने की मांग राज्य एवं केंद्र सरकार से करते आ रहे हैं। पादचारी पुल या भूयारी मार्ग नहीं होने से दोनों तरफ की जनता व मासूम छात्रों के अलावा महिलाओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। करीब डेढ़ -दो दशकों से चल रही जनता की मांग पर सरकार या सबंधित विभाग ने अब तक कोई पहल नहीं की।
मिली जानकारी के अनुसार करीब एक दशक से मुकुंद नगर के समाजसेवकों द्वारा जन सुविधाओं के मद्देनजर वाशीनाका से मुकुंद नगर के लिए पादचारी पुल या भूयारी मार्ग बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। मुकुंद नगर की करीब दस इमारतों के ढाई से तीन हजार नागरीकों को बर्मा सेल रेल पटरी से होकर बाजार स्कूल या हॉस्पिटल आदि जाना पड़ता है। इसे देखते हुए स्थानीय समाजसेवक नीलकंठ सर्वदय और चांद बादशा शेख, संजय जाधव, सैय्यद असलम आदि पिछले करीब एक दशक से सबंधित विभागों से पत्राचार कर रहे हैं।
लेकिन इस मुद्दे पर अब तक कोई पहल नहीं हुई है। पादचारी पुल या भूयारी मार्ग नही होने से दोनों तरफ की जनता, मासूम छात्रों और महिलाओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि बर्मा सेल कि रेल पटरियों पर प्रति वर्ष दर्जनों लोगों कि मौत रेल से कटकर हो जाती है। वहीं शाम होते हो यहां की रेल पटरियों पर गरर्दुल्ले और बेवड़ों का जमावड़ा लग जाता है। ऐसे में महिलाओं को इस रास्ते आना जाना खतरनाक साबित हो सकता है। इस रेल पटरी पर नशेड़ियों द्वारा छेड़ छाड़ की कई वारदात हो चुकी है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार एक तरफ शिक्षा और दूसरी तरफ महिलाओं कि सुरक्षा देने की गारंटी देती है। लेकिन मासूम छात्रों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए वाशीनाका से मुकुंद नगर तक करीब 500 मीटर का पदचारी पुल या भूयारी मार्ग नहीं बना सकती। इस मुद्दे को लेकर जन सुविधाओं के मद्देनजर वाशीनाका से मुकुंद नगर तक पादचारी पुल या भूयारी मार्ग बनाने की मांग एमआरसीसी अल्पसंख्यक विभाग के जोनल अध्यक्ष सैय्यद खालिद नईमी द्वारा वर्ष 2002 से करते आ आ रहे हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री, रेल मंत्रालय (दिल्ली), डीआरएम (मुंबई) और मनपा को पत्र लिखा था। लेकिन 18 वर्ष बीतने के बाद भी बर्मा सेल रेलवे लाईन के ऊपर पादचारी पल या भूयारी मार्ग अभी तक नहीं बन सका है।
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