एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। नीट यूजी परीक्षा विवाद मामले में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब चुप्पी तोड़नी चाहिए। पीएम को देश के लाखो आंदोलनरत छात्रो को न्याय देने का ऐतिहासिक पहल किया जाना चाहिए।
उपरोक्त बातें 12 जून को संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने देशभर में छात्रों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के समर्थन में उक्त बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि छात्रों द्वारा नीट यूजी परीक्षा को रद्द करने के लिए जो आंदोलन चलाया जा रहा है, अब उसे विराम देने की आवश्यकता है। यह विराम तभी हो सकता है, जब देश के प्रधानमंत्री इस संदर्भ में अपनी चुप्पी तोड़ेंगे।
नायक ने कहा कि एक सेंटर विशेष पर एग्जाम दे रहे 67 स्टूडेंट्स को फुल मार्क्स 720 तक दिया जाना संदेह के घेरे मे हैं। नीट परीक्षा 5 मई को हुई, तभी से कई शिकायतें सामने आई। यहां तक कि पेपर लीक की बातें कही गईं।
नायक ने कहा कि रिजल्ट आने के बाद से ही कई दिनों से छात्र देश के कोने-कोने में प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलनकारी छात्रों द्वारा दोबारा परीक्षा की मांग की जा रही है। परीक्षा के रिजल्ट में धांधली की जांच की भी मांग की जा रही है। नायक ने कहा कि जिस तरह एनटीए ने मनमाने तरीके से ग्रेस मार्क दिया है वह जांच का विषय है।
उन्होंने कहा कि नीट यूजी परीक्षा का आयोजन 5 मई को देशभर के 571 और विदेश के 14 शहरों में किया गया था। इस परीक्षा का रिजल्ट निर्धारित समय से 10 दिन पहले यानी 14 जून की जगह 4 जून को जारी किया गया। इस वर्ष नीट यूजी में रिकॉर्ड 67 उम्मीदवारों ने एआईआर-वन हासिल की है, जिसमें 6 उम्मीदवार हरियाणा के एक ही केंद्र से हैं। यह भी जांच का विषय है।
नायक ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है, इसलिए एनटीए को जवाब देने की जरूरत है।
ज्ञात हो कि, एनटीए वर्ष 2016 से नीट का आयोजन कर रहा है। इस साल 2024 की नीट परीक्षा 5 मई को 24 लाख से ज़्यादा उम्मीदवारों के लिए आयोजित की गई थी।
करीब 1500 छात्रों को बढ़ा-चढ़ाकर दिए गए अंक, ग्रेस मार्क्स के आवंटन और नतीजे घोषित होने के बाद अनियमितताओं को लेकर विवाद हुआ है और देशभर में छात्रों का आंदोलन शुरू हुआ। अब समय है कि छात्रो की बात को सुनकर प्रधानमंत्री इस विवाद का पटाक्षेप करें।
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