अनिल बेदाग। एक छोटे शहर का फोटोग्राफर किस तरह ग्लैमर नगरी मुंबई में आकर डीओपी से डायरेक्टर बन गया, इस सवाल का सही जवाब ऋषि शर्मा के ही पास है, जो एक समय उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में प्रेस फोटोग्राफर थे, लेकिन आज उनकी पहचान बॉलीवुड के विख्यात डीओपी और डायरेक्टर के रूप में है। डायरेक्टर इसलिए कि कई शॉर्ट फिल्में और धारावाहिक डायरेक्ट करने के साथ-साथ ऋषि शर्मा हिंदी फीचर फिल्म बांसुरी एक प्रेम कथा भी बना चुके हैं। बतौर डीओपी उन्होंने कई धारावाहिकों के लिए काम किया है जिनमें सबसे लंबा धारावाहिक अपराजिता है।
ऋषि शर्मा का सिनेमाई सफर इतना आसान नहीं रहा। वह कहते हैं कि अपने शहर मुरादाबाद में फोटोग्राफी का काम करते-करते मन में कुछ बड़ा करने इच्छा पैदा हुई। इसी बीच मुरादाबाद के ही एक विख्यात डायरेक्टर अपने सीरियल की शूटिंग के लिए शहर में आए। पत्रकार की हैसियत से शूटिंग कवरेज करते-करते मन ही मन में इच्छा पैदा हुई कि मुझे भी फिल्मों का कैमरा चलाना है। डायरेक्टर से बातचीत हुई और उन्होंने मुझे दिल्ली चलने का कह दिया। दिल्ली जाने के बाद मैं दूरदर्शन की न्यूज़ कवरेज करने लगा। धीरे-धीरे काम आगे बढ़ता रहा और इस दौरान डेढ़ सौ से ज्यादा डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाईं। इसी बीच दूरदर्शन पर अपराजिता शुरू हुआ और मैं अपराजिता के असिस्टेंट कैमरामैन के तौर पर मुंबई आ गया। अपराजिता करीब तीन साल तक टेलीकास्ट हुआ। उसी दौरान मैं पूरी तरह कैमरामैन के तौर पर पहचान बना चुका था।
ऋषि कहते हैं कि जैसे ही अपराजिता बंद हुआ, मेरी मुलाकात उसी सीरियल के साउंड रिकॉर्डिस्ट दिनेश चतुर्वेदी से हुई। उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म के डी ओ पी संतोष सूर्यवंशी से मेरी मुलाकात करवाई और मैं बालाजी के बहुत ही पॉपुलर शो कसौटी जिंदगी के मैं कैमरामैन के रूप में काम करने लगा। उसके बाद मैंने कई शॉर्ट फिल्में भी डायरेक्ट की। फिर विचार किया कि क्यों न डायरेक्टर के रूप में काम किया जाए। आखिरकार वो ख्वाहिश भी पूरी हो गई जब मुझे फिल्म बांसुरी एक प्रेम कथा बनाने का मौका डायरेक्टर के रूप में मिला। इस तरह आज डीओपी और डायरेक्टर के तौर पर मैं फिल्म इंडस्ट्री को 25 साल दे चुका हूं और चाहता हूं कि यादगार फिल्मों के साथ मेरा सिनेमाई सफर आगे बढ़ता रहे।
420 total views, 1 views today