चिराग और नित्यानंद को चक्रव्यूह से निकालने को पीएम मोदी की जरूरत
गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। बिहार के हाजीपुर सुरक्षित क्षेत्र से लोजपा प्रमुख चिराग पासवान एनडीए के प्रत्याशी हैं। वैशाली जिले के पातेपुर विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर बना उजियारपुर संसदीय क्षेत्र से इस बार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय चुनाव लड़ रहे हैं।
वैसे उजियारपुर का मतदान हो चुका है लेकिन हाजीपुर में 20 मई को मतदान होगा। बिहार में लोकसभा चुनाव महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के बीच लड़ा जा रहा है।
इंडिया महागठबंधन में जहां कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी और साम्यवादी दल के घटक जुड़े हैं वहीं एनडीए में भाजपा के अलावे जदयू, हम, लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल है।
चुनाव के पूर्व लग रहा था कि बिहार में एनडीए पिछले लोकसभा चुनाव को दोहराएगी, लेकिन वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव काफी संघर्षपूर्ण है। वैसे तो लड़ाई बिहार में मोदी समर्थक और मोदी विरोधियों के बीच है या यूं कहे कि यह चुनाव बिहार में लालू समर्थक और लालू विरोधियों के बीच है। राजद सुप्रीमो तेजस्वी यादव इस बार के चुनाव में एक रणनीति के तहत मोदी समर्थक जातियों के मतों को अपने पाले में लाने के लिए एक खास रणनीति बनाई है।
वैशाली जिले के हाजीपुर से चिराग पासवान और उजियारपुर से नित्यानंद राय की घेराबंदी के लिए तेजस्वी यादव ने वैशाली जिले के रहिवासी आलोक मेहता को उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। आलोक मेहता कुशवाहा समाज के बड़े नेता है।
भूमिहार मतदाताओं को जो लालू के घोर विरोधी रहे हैं को अपने पाले में लाने के लिए तेजस्वी ने वैशाली से भूमिहार मुन्ना शुक्ला बाहुबली को उम्मीदवार बनाया। वैशाली जिले के ही रहिवासी अजय निषाद जो लगातार मुजफ्फरपुर से सांसद निर्वाचित होते रहे को इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया।
तेजस्वी यादव ने अजय निषाद को अपने पाले में लाकर मुजफ्फरपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ाया है। इस रणनीति के तहत तेजस्वी को आशा थी कि एनडीए समर्थक कुशवाहा समाज भूमिहार समाज और सहनी समाज महागठबंधन से जुड़ेंगे। जिससे महागठबंधन की विजय सुनिश्चित की जाए।
तेजस्वी की रणनीति का असर उजियारपुर क्षेत्र में देखने को मिला, जहां कुशवाहा मत आलोक मेहता को मिला और माय समीकरण तेजस्वी के साथ खुलकर साथ रहा। इस रणनीति का असर वैशाली मुजफ्फरपुर तथा हाजीपुर में भी देखने को मिल रहा है।
इन सब वजहों से एनडीए उम्मीदवारों के बीच खलबली मच गई है। जिस वजह से प्रधानमंत्री मोदी को इन सभी क्षेत्रों में खुद आकर प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार करना पड़ा। साथ हीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इन क्षेत्रों में ज्यादा सक्रिय दिखे।
चुनाव के एक दिन पूर्व हाजीपुर के भूमिहार मतदाताओं को अपने पाले में रखने के लिए भाजपा के नेता व् बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय सिंह, राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भूमिहार बहुल गांव में जाकर मतदाताओं की शिकायत दूर करते रहे।
कुशवाहा समाज पर पकड़ बनाए रखने के लिए जदयू के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुशवाहा और उपेंद्र कुशवाहा को लगाया गया। इसके अलावा राजपूत मतदाताओं को बांधे रखने के लिए लालगंज विधायक संजय कुमार सिंह और रामा सिंह पूर्व सांसद को राजपूत बहुल क्षेत्र में लगाया गया।
राजद नेता तेजस्वी की रणनीति के कारण एनडीए के केंद्रीय नेतृत्व को बार-बार इन क्षेत्रों में आना पड़ रहा है। महागठबंधन के तेजस्वी यादव की एक मजबूरी है कि महागठबंधन में बिहार में उनके अलावा कोई ऐसा दूसरा नेता नहीं है जो सभी जगह जाकर मतदाताओं को प्रभावित कर सके।
यूं तो बिहार में कांग्रेस भी चुनाव लड़ रही है, लेकिन कांग्रेस के राहुल या कांग्रेस के बड़े नेता का इस चुनाव में दर्शन नहीं हुआ। जिस वजह से जिन क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवार हैं वहां उन उम्मीदवारों में खासा निराशा है। वैशाली जिले में तेजस्वी के अलावे महुआ विधायक मुकेश रोशन और मुकेश सैनी ने प्रत्याशी शिवचंद्र राम के पक्ष में काफी मेहनत की है, लेकिन महागठबंधन के घटक कांग्रेस के नेता और एक मात्र विधायक तेजस्वी की सभा में नजर नही आए।
खास यह कि चुनाव प्रचार के अंतिम दिन भाजपा और जेडीयू नेताओं की फौज ने हाजीपुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं को मोदी के नाम पर अपना मत देने के लिए मना लिया। यानी हाजीपुर में मोदी समर्थन और मोदी विरोध में ही वोट पड़ेगा।
लगता है कि हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चिराग पासवान इस बार संसद का चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन उनके लिए पिछले चुनाव का रिकॉर्ड और अपने पिता का रिकॉर्ड तोड़ना मुश्किल है। जबकि, उजियारपुर में नित्यानंद राय चक्रव्यूह से निकलने के लिए छटपटाते दिख रहे हैं।
मुजफ्फरपुर में तेजस्वी की रणनीति का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा और ना ही सारण क्षेत्र में जहां तेजस्वी की बहन लोकसभा चुनाव लड़ रही है। जिनका मुकाबला बीजेपी के राजीव प्रताप रूड़ी से है।
सारण में तेजस्वी को सिर्फ माई समीकरण का सहारा है। वैसे वहां मुस्लिम समुदाय तेजस्वी से हीना शाहब को लेकर बिगड़ा हुआ है। लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि तेजस्वी ने भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं को इस चुनाव में पसीने छुड़ा दिए जो उन्हें आगे काम देगा।
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