फुसरो में मनाई गई महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। महाराणा प्रताप सेवा संस्थान के द्वारा प्रखर राष्ट्रनायक हिंदूकुल सूर्य वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती 485 वीं जयंती 9 मई को धूमधाम से मनाया गया। यह आयोजन बोकारो जिला के हद में फुसरो नगर परिषद क्षेत्र के राजेंद्र स्मृति भवन में आयोजित किया गया।

मौके पर उपस्थित आम व् खास सबों ने महाराणा प्रताप के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। साथ ही उनके किए गए पराक्रम को याद किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मदन गुप्ता एवं संचालन भाई प्रमोद सिंह ने किया। इस अवसर पर महाराणा प्रताप सेवा संस्थान के विनय सिंह ने कहा कि महराणा प्रताप का जीवन संपूर्ण राष्ट्र के लिए अनुकरणीय है। ऐसे महापुरुष और स्वाभिमानी प्रखर राष्ट्रनायक के जीवन चरित्र का अध्ययन उनके पदचिन्हों पर चलकर हीं कोई राष्ट्र महान बन सकता है।

जिस समय उक्त महान विभूति थे उस समय की परिस्थिति में चारों तरफ अंधेरा था। मुगल साम्राज्य पूरी तरह से अभिभूत हो गया था और अपना धर्म, अपनी संस्कृति आपातकाल हो गई थी। मुगल काल के इतिहास में औरंगजेब सबसे बड़ा अत्याचारी था, लेकिन औरंगजेब से ज्यादा नुकसान इस देश को अकबर ने किया था।

भाजपा के वरीय नेता सह टुंडी विधानसभा प्रत्याशी विक्रम पांडेय ने महाराणा प्रताप के जीवन व संघर्ष की चर्चा करते हुए जीवन को सरल बनाने व अपने सम्मान की रक्षा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने मुगल शासक अकबर को कई बार रणभूमि में टक्कर दी। भाजपा के निवर्तमान मंडल अध्यक्ष भाई प्रमोद सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप हल्दी घाटी के युद्ध में अंग्रेजों और मुगलों को परास्त किया था।

घास की रोटी खाकर भी उन्हें पराधीनता स्वीकार नहीं था। कहा गया कि जुल्म और अत्याचार सह कर भी मुगलों के आगे झुके नहीं। मुगलों ने उन्हें गिराने के लिए कई प्रलोभन दिया, फिर भी महाराणा प्रताप अडिग रहे। उनका प्यारा घोड़ा चेतक भी उनका साथ दिया और हल्दी घाटी के युद्ध में मुगलों को परास्त कर साम्राज्य पर अपना कब्जा जमाया। आज भारतीय संस्कृति महाराणा प्रताप के चलते ही बना हुआ है।

अगर महाराणा प्रताप नहीं होते तो भारत की संस्कृति नहीं बच पाती, ना हिन्दुत्व बच पाता। यह महाराणा प्रताप की ही देन हैं कि हम भारतीय संस्कृति और उनका गुण गा रहे हैं। महाराणा प्रताप हमेशा अमर रहेंगे। देशवासी युगों योगों तक उनके बलिदानो को याद रखेंगे। कहा कि जिस दिन हिंदुत्व खत्म हो जाएगा उस दिन भारत की पहचान खत्म हो जाएगा।
निवर्तमान वार्ड पार्षद भरत वर्मा ने कहा कि महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के 13वें महाराणा के रूप में शासन किया और उनका नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण के लिए अमर है। उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया।

हल्दी घाटी का युद्ध उनकी वीरता का प्रतीक है, जहां उन्होंने मुगल सेना का सम्मान किया। महाराणा प्रताप का जीवन हम सभी को देशभक्ति और स्वाभिमान की प्रेरणा देता है।धन्यवाद ज्ञापन भरत वर्मा ने किया। मौके पर दयानंद बरनवाल, संत सिंह, दिनेश सिंह, अभिषेक कुमार सिंह, पंकज कुमार पांडेय, केदार सिंह, अशोक कुमार सिंह, नवल किशोर सिंह, शिव पूजन चौहान, चंदन राम, संजय गुप्ता (पिंकू), मदन गुप्ता, शंकर भदानी, श्रीराम सिंह, सुरेन्द्र सिन्हा, मिथलेश सिंह, अरुण कुमार सिंह, शंभु प्रसाद, महेश्वर सिंह, उमेश प्रसाद सिंह, दीपक गुप्ता, दीनबंधु पांडेय, आयुष अग्रवाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित हुए।

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