नेताजी से संबंधित 41 फाइलें सार्वजनिक की जाएं: जयदीप मुखर्जी

सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करे सरकार

देशप्रेम दिवस के रूप में मनाया जाए नेताजी का जन्मदिन

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। भारत के राष्ट्रीय नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जापान में विमान दुर्घटना में हुई रहस्यमय मृत्यु और उसके बाद केंद्र और प. बंगाल सरकार सहित विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा की गई जांच के तथ्यों को लेकर ऑल इंडिया लीगल ऐड फोरम ने शीर्ष 41 फाइलें सार्वजनिक करने का मुद्दा उठाया है। मुंबई के मराठी पत्रकार संघ में आयोजित पत्रकार वार्ता में फोरम के जनरल सेक्रेट्री एवं इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्टस के मेंबर जॉयदीप मुखर्जी ने कहा कि यह देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक देश को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अंतिम घटना के बारे में पता नहीं है कि आखिर उनके साथ अंतिम दिन वास्तव में क्या हुआ था।

फोरम के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार को रूस के ओम्स शहर में साइबेरिया जेल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के संबंध में केजीबी फाइलों का खुलासा करने के लिए राजनयिक तरीके से दबाव बनाने, आजाद हिंद फौज (उस समय संपत्ति की कुल राशि 72 करोड़ रुपये थी) की संपत्ति के बारे में सच्चाई का खुलासा करने के अलावा नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश और देशप्रेम दिवस घोषित करने की भी मांग की।

सुरेश चंद्र बोस ने रिपोर्ट पर जताई थी असहमति

ऑल इंडिया लीगल ऐड फोरम के जनरल सेक्रेट्री जॉयदीप मुखर्जी के अनुसार 18 अगस्त 1945 को एक कथित विमान दुर्घटना की अफवाह पूरी दुनिया में फैल गई कि जापान में थाय हुको में विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के संबंध में यह खबर बिल्कुल भी प्रामाणिक नहीं थी। वर्ष 1956 में पहला आयोग तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा श्री शाहनवाज हुसैन की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था और राज्य आयोग की रिपोर्ट को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस ने स्वीकार नहीं किया था और इस रिपोर्ट को उन्होंने अपना असहमति नोट दिया था।

मरणोपरांत भारत रत्न पर भी उठे थे सवाल

वर्ष 1998 में जब भारत सरकार ने “मरणोपरांत भारत रत्न” देने का निर्णय लिया, तब भारत में नेताजी प्रेमियों द्वारा भारी विरोध किया गया था कि पिछली दो रिपोर्टों को अस्वीकार करने के बावजूद भारत सरकार कैसे नेताजी को “मरणोपरांत भारत रत्न”” देने के लिए दृढ़ है?

रिपोर्ट में मुख्य चार निष्कर्ष आए सामने

8 अगस्त 1945 को नेताजी के कथित लापता होने की जांच करने लिए सेवानिवृत्त जस्टिस मनोज कुमार मुखर्जी के अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया। न्यायमूर्ति मनोज कुमार मुखर्जी आयोग ने केंद्र सरकार के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और रिपोर्ट में मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं :-
1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो चुकी है।
2. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त 1945 को कथित विमान दुर्घटना में मृत्यु नहीं हुई थी।
3. रंकोजी मंदिर में रखी राख, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की राख नहीं है।
4. उनकी मृत्यु कहां हुई, यह केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसका पता लगाएं।

विभिन्न फाइलों से स्पष्ट है कि नेताजी 1945 के बाद रूस में थे 1990 में सोवियत रूस के अलग होने के बाद केजीबी (सोवियत रूस की तत्कालीन खुफिया शाखा) को भंग कर दिया गया था और रूसी सरकार से डी-वर्गीकृत फाइलों के रूप में सभी के लिए खुला था। केजीबी की विभिन्न फाइलों से यह स्पष्ट है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस 18 अगस्त 1945 के बाद रूस में थे और सोवियत रूस में शरण ली। केंद्र सरकार के लिए उचित होगा कि वह केजीबी की टॉप सीक्रेट फाइलों को साझा करने के लिए रूसी सरकार को आधिकारिक पत्र भेजे।

41 फाइलों को शीर्ष गुप्त फाइलों के रूप में रखा

गौरतलब है कि वर्तमान में केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मामले से संबंधित 41 फाइलों को गोपनीय और शीर्ष गुप्त फाइलों के रूप में रखा है। यह उल्लेखनीय है कि अनुसंधान कर्मियों को अनौपचारिक स्रोतों से तत्कालीन केजीबी से दस्तावेज मिल रहे हैं कि नेताजी साइबेरिया के ओम्स शहर में थे। (यह आशंका है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सेल नंबर 45 में यास्तुक जेल में सलाखों के पीछे डाल दिया था)।

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