एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। लोक आस्था का महान पर्व छठ के दूसरे दिन 18 नवंबर को खरना व्रतियों के साथ श्रद्धालुओं ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया। इसी के साथ छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया।
इस अवसर पर छठ पर्व का जश्न चारों ओर देखते ही बन रहा है। खरना के दिन शाम को गुड़ का खीर खाने का बड़ा महत्व है। जिसे व्रतियों द्वारा ग्रहण करने के पश्चात श्रद्धालुओं को परोसा जाता है।
बोकारो जिला के हद में बेरमो कोयलांचल मे बेरमो विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिंह, पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय, सीसीएल ढोरी क्षेत्र के महाप्रबंधक मनोज कुमार अग्रवाल, कथारा जीएम दिनेश कुमार गुप्ता, बीएंडके जीएम एम. के. राव, भाजपा नेता प्रकाश कुमार सिंह, डॉ उषा सिंह, बेरमो प्रखंड प्रमुख गिरिजा देवी, मजदूर नेता गिरजा शंकर पांडेय व महेंद्र कुमार विश्वकर्मा, आदि।
ट्रांसपोर्टर रिशु पांडेय, भोला सिंह, राजू सिंह, तरुण सिंह, शक्ति सिंह, मीनू अग्रवाल, सुरेंद्र खेमका, व्यवसायी संघ फुसरो के आर. उनेश, ढ़ोरी क्षेत्र के एसओपी प्रतुल कुमार, पीओ मनोज कुमार सिंह, के. आर. सत्यार्थी, रंजीत कुमार व शैलेश प्रसाद, थाना प्रभारी अशोक कुमार सिंह, सुप्रसिद्ध महिला चिकित्सक डॉक्टर शकुंतला कुमार सहित हजारो श्रद्धालुओं ने खरना का ग्रहण किया।
छठ महापर्व के तीसरे दिन 19 नवंबर को अस्तचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 20 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व पूर्ण होगा।
छठ के दूसरे दिन खरना के दौरान छठ व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रहने के बाद शाम को मिट्टी के बने नए चूल्हे पर आम की लकड़ी की आंच से गाय के दूध में गुड़ डालकर खीर बनाईं। साथ ही पांच तरह के पकवान तैयार कर छठी माई को भोग लगाया गया। इसके बाद इसे भोग लगाकर व्रती प्रसाद के रूप में ग्रहण की।
इस दौरान छठ गीतों से बेरमो कोयलांचल का हर गली, मोहल्ला, चौक-चौराहा गुंजायमान रहा। क्षेत्र के विभिन्न चौक चौराहों, छठ घाट तथा पूजा समितियों द्वारा छठ व्रतियों के घरों में छठ मईया के गीत गुंजता रहा। जिसमें कांच ही बांस के बहंगी, बहंगी चलकत जाए.., मारबो रे सुगवा धनुष से.. सहित कई कर्णप्रिय गीतों से क्षेत्र में भक्ति रस घुल रहे हैं।
इस अवसर पर छठ पर्व को लेकर बेरमो-फुसरो के बाजार में फलों की खरीदारी श्रद्धालुओं ने किया। इस अवसर पर सीसीएल और डीवीसी के अधिकारीयों और स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने दामोदर नदी तट स्थित छठ घाट का निरीक्षण किया। वे हिंदुस्तान पुल फुसरो भी पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि छठ व्रतियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसका हमेशा ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने छठ घाट की सफाई करने वाली संस्था की तारीफ भी की।
लोक मान्यता है कि छठ पूजा त्रेता युग से किया जा रहा है। इस व्रत के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। छठ कथा के अनुसार कहा जाता है कि सबसे पहले त्रेता युग में इस व्रत को सीता मैया ने किया था। जब भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता 14 वर्ष का वनवास पूरा कर लौटे थे, तब उन्होंने छठी मैया का व्रत किया था।
ऐसे ही लोक कथा के अनुसार कहा जाता है कि जब पांडव अपना सारा राजपाठ जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था। तब उनकी मनोकामना पूरी हुई थी। तभी से ये व्रत करने की परंपरा चली आ रही है।
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