सोशल मीडिया के ज़रिये वतन वापसी की लगायी गुहार
प्रहरी संवाददाता/बगोदर (गिरिडीह)। अच्छी कमाई का लालच व आर्थिक स्थिति ठीक करने को लेकर सात समंदर पार गिरिडीह और हजारीबाग जिले (Hazaribag district) के विभन्न प्रखंडो के प्रवासी मजदूर विदेश जाते है। वहां जाकर कई मजदूर काल के गाल में समा जाते है अथवा वहां जाकर फंसे जाते है।
एक बार फिर झारखंड के 33 मजदूर साउथ अफ्रीका (South Africa) के माली मे फंसे हैं। माली में फंसे मजदूरों में गिरिडीह जिला के हद में बगोदर के पांच, सरिया के तीन, डुमरी के छ: तथा हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड के 17, चुरचु के एक तथा बरकट्टा मजदूर शामिल है।
फंसे मजदूरों ने सोशल मीडिया (Social media) के जारिये वीडियो (Vedio) संदेश भेज कर भारत सरकार व झारखंड सरकार के नाम त्राहिमाम संदेश भेजा है। वे सरकार से वतन वापसी की गुहार लगा रहे है। कम्पनी के द्वारा पिछले तीन महीने का वेतन नहीं मिलने से खाने लिए दाने-दाने के लिए मोहताज हैं।
बता दें कि यह कोई पहला मौका नही है, जब दलालों के चक्कर में पड़कर गरीब तबक़े के लोग विदेशों में फंस गए हैं। पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। ठेकेदार के द्वारा इन मजदूरों को ज्यादा पैसे कमाने का लालच देकर साउथ अफ्रीका के माली पहुँचा दिया गया। काम के बदले वेतन नही दिया जा रहा है।
फंसे मजदूरों में बगोदर के नंदलाल महतो (महुरी), टिकेश्वर महतो (ढिबरा), शंकर महतो (तिरला), दिलीप महतो (तिरला), कुंज लाल महतो(परतापुर), सरिया के प्रखंड के चांदो महतो (श्रीरामडीह), संतोष महतो (श्रीरामडीह), गोपाल महतो (खुट्टा), डुमरी प्रखंड के हुलास महतो (दुधपनियां), लोकनाथ महतो (कसमाकुरा), आदि।
भोला महतो (कसमाकुरा), सहदेव महतो (कसमाकुरा), संतोष महतो (कल्हाबार), होरिल महतो (तुइयो), हजारीबाग बिष्णुगढ प्रखंड के उच्चाघना के रूपलाल महतो, सुकर महतो, संदीप कुमार महतो, तिलक महतो, नंदलाल महतो, लालमणी महतो, इंद्र देव ठाकुर, आदि।
सुरेश महतो, सुनील महतो, जीवाधन महतो, मडमो के छेदीलाल महतो, अरविंद महतो, मोहन महतो, त्रिलोकी महतो, टिकेश्वर महतो (बंदखारो), हेमलाल महतो (फराचांच), भेखलाल महतो (नेरकी), चुरचु प्रखंड के बांदा कोई के मनोज महतो तथा बरकट्टठा प्रखंड गोरहर के सुकर महतो शामिल है।
प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकन्दर अली ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब दलालों के चक्कर में पड़ कर गरीब तबक़े के लोग विदेशों में फंस जाते हैं। पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में सरकार को इस पर ठोस कदम उठाने की जरूरत हैं।
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