श्रीवैष्णव सम्प्रदायाचार्य रामानुजाचार्य की मनाई गई 1007वीं जयंती

हिंदू धर्मशास्त्र के जानकार और दार्शनिक थे संत रामानुजाचार्य-जगद्गुरु लक्ष्मणाचार्य

ए. के. शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर के श्रीगजेन्द्रमोक्ष देवस्थान नौलखा मन्दिर में 13 मई को महान संत श्रीवैष्णव सम्प्रदायाचार्य और दार्शनिक रामानुजाचार्य की 1007वीं जयंती मनाई गई।

इस अवसर पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने कहा कि भगवान भाष्यकार स्वामी रामानुजाचार्य जी महाराज हिंदू धर्मशास्त्र के जानकार और दार्शनिक थे। वे हिन्दू धर्म के भीतर श्रीवैष्णववाद परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण व्याख्याताओं में से एक थे।

इससे पूर्व सोनपुर स्थित देवस्थानम में रामानुजाचार्य भगवान के श्रीविग्रह का दिव्य रसायन, गोदुग्ध और नारायणी नदी के जल से अभिषेक कर, अष्टोत्तर शतनाम अर्चन पूजन किया गया।

रामानुजाचार्य ने यादव प्रकाश गुरु से ली थीं वेदों की शिक्षा

जयंती के अवसर पर जगद्गुरु लक्ष्मणाचार्य महाराज ने कहा कि संत रामानुजाचार्य का जन्म तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर गांव में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में वर्ष 1017 में हुआ था। जब उनकी अवस्था बहुत छोटी थी, तभी उनके पिता का देहावसान हो गया। बचपन में उन्होंने कांची में यादव प्रकाश गुरु से वेदों की शिक्षा ली।

भक्तिवाद के लिए उनके दार्शनिक आधार, भक्ति आंदोलन के लिए प्रभावशाली थे। कहा कि उनके गुरु यादव प्रकाश सुख्यत विद्वान और प्राचीन अद्वैत वेदांत मठवासी परंपरा का हिस्सा थे। श्रीवैष्णव परंपरा यह मानती है कि रामानुज अपने गुरु और गैर-दैवीय अद्वैत वेदांत से असहमत हैं। वे इसके बजाय भारतीय अलवार परंपरा, विद्वान नथमुनी और यमुनाचार्य के नक्शे कदम पर चले।

उन्होंने बताया कि रामानुजाचार्य वेदांत का विशिष्टाद्वैत सिद्धांत प्रसिद्ध हैं। रामानुजाचार्य खुद भी ब्रह्म सूत्रों और श्रीमदभगवद गीता पर भक्ति जैसे संस्कृत के सभी प्रभावशाली ग्रंथ लिखे थे। उनके विशिष्टाद्वैत दर्शन में माधवचर्या के द्वैत (ईश्वरीय द्वैतवाद) दर्शन और शंकराचार्य के अद्वैत (अद्वैतवाद) दर्शन, साथ में दूसरे सहस्त्राब्दि के तीन सबसे प्रभावशाली वेदांतिक दर्शन थे।

बताया कि रामानुजाचार्य ने दर्शन प्रस्तुत किया जिसमे भक्ति के सांसारिक महत्व और एक व्यक्तिगत भगवान के प्रति समर्पण को आध्यात्मिक मुक्ति के साधन के रूप में प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा कि 1007वीं जयंती पर आज तक भगवान रामानुजाचार्य के समाधिस्थ शरीर कांचीपुरम में सुरक्षित है।
उक्त अवसर पर देवस्थान में महाप्रसाद का भण्डारा आयोजित किया गया। जिसमें प्रबंधक नन्दकुमार बाबा, ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर तिवारी, रमाकांत सिंह, सत्येन्द्र नारायण सिंह, भोला सिंह सहित दर्जनों श्रद्धावान सम्मिलित हुए।

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