तेनुघाट(बोकोरो)। चापी, तेनुघाट, घरवाटांड़ और आसपास के इलाकों में धूमधाम और आस्था पूर्वक वट सावित्री पूजा अर्चना की गई। सुहागिनों ने अपने पति के दीर्घायु एवं परिवार की सुख शांति के लिए प्रथणा की। पुजारी राजीव पांडेय ने बताया कि वट सावित्री में वट एवं सावित्री दोनों का खास महत्व है। पीपल वृक्ष की तरह वट वृक्ष का भी विशेष महत्व है। पुराणों की माने तो वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं बरगद पेड़ के चारों ओर घूम कर रक्षा सूत्र बांधती है। महिलाएं वट वृक्ष के निचे बैठकर सत्यवान और सावित्री की कथा सुनती हैं।कहा जाता है कि आज के दिन वट वृक्ष की पूजा अर्चना करने से सुहागिन महिलाआें की मनोकामना पूर्ण होती है। वट वृक्ष के निचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पतिव्रत से अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। वट वृक्ष6 की पूजा सुबह से ही सुहागिन महिलाआें के द्वारा किया गया जो शाम तक चलता रहा। तेनुघाट कार्यपालक दण्डाधिकारी सह प्रभारी जेल अधीक्षक छवि बाला बारला ने भी वट वृक्ष की पूजा की।
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