प्रहरी संवाददाता/गोमियां(बोकारो)। बोकारो (Bokaro) जिला के हद में सीसीएल कथारा क्षेत्र द्वारा संचालित डीएवी पब्लिक स्कूल स्वांग से जुड़ा मामला सुधा कुमारी(काल्पनिक नाम) को अब तक नही मिला इंसाफ। अब नौकरी से भी उसे हाथ धोना पड़ रहा है। सवाल है कि इस तरह की शोषण की शिकार महिलाओं के साथ ऐसा कबतक होता रहेगा।
पीड़िता के अनुसार पहले तो स्वांग डीएवी विद्यालय प्रबंधन के शह पर सीसीएल कथारा क्षेत्र के क्षेत्रीय अधकारी ओ पी सिंह द्वारा सुनियोजित तरीके से आस्थाई से स्थायी करने के नाम पर लगातार दैहिक शोषण किया जाता रहा। महिला कर्मी द्वारा स्थायी करने की मांग पर उसे तारीख पे तारीख मिलता गया। उसके बाद महिला द्वारा विरोध जताते हुए अधिकारी सिंह के खिलाफ काफी मशक्कत के बाद शिकायत कर मामला दर्ज कराया गया। पीड़िता ने पुलिस को इससे संबंधित साक्ष्य भी उपलब्ध कराया। इसके बाद आरोपी सिंह पर पुलिस ने शिकंजा कसा तो सिंह फरार हो गये। जिसे अब तक पुलिस गिरफ्तार नही कर पाई है। इसके बाद भी महिला कर्मी को परेशान करवाया जाने लगा। ज्ञात हो कि आरोपी सिंह उक्त स्कूल का बोर्ड मेम्बर था। इधर लगातार प्रताड़ना से तंग पीड़िता ने जून 2020 में उक्त विद्यालय के प्रिंसिपल सुजीत शर्मा के विरुद्ध गोमियां थाना में कांड क्रमांक-71/20 के तहत मामला दर्ज करवा चुकी है। नतीजतन प्रिंसिपल शर्मा ने 28 सितंबर की सुबह विद्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दिया।
इस बात पर स्कूल के मुख्य द्वार पर तैनात सुरक्षा कर्मी महिला कर्मी को रोक दिया और बताया कि उसे प्रिंसिपल ने विद्यालय में आने से मना किया है। बिना आदेश हम अंदर जाने नही देंगे।
अंततः महिला कर्मी निराश होकर वहां उपस्थित मीडिया से गुहार लगाते हुए बताया कि मुझे काम से भी निकाल दिया है और दो महीना का वेतन भी नही दिए है। जबकि मौखिक रूप से बोला था कि कोरोना की वजह से अभी स्कूल नही आना है और वेतन दे दिया जायगा। फिर भी जून तक वेतन दिया गया और जुलाई व अगस्त का वेतन नही दिया गया है। जबकी इसकी शिकायत हमने लेटर के माध्यम से प्रिंसिपल सहित एआरओ बोकारो तथा विद्यालय प्रबंध समिति(एलएमसी) कथारा क्षेत्र के महाप्रबंधक से भी किये थे। जिसका उसे अबतक कोई जवाब नही मिला है।
वहीं प्रिंसिपल शर्मा ने बताया कि उसकी एग्रीमेंट मार्च तक का था सो खत्म हो गया है। इसलिए उसे काम से हटा दिया गया है। महिला कर्मी द्वारा उनपर दर्ज मामले के सम्बंध में उन्होंने महिला पर आरोप लागते हुये कहा कि महिला कितने लोगों पर अबतक केस कर चुकी है। इसका पता स्थानीय मुखिया से कर लिजिए।
सवाल है कि यदि उक्त महिला कर्मी का अनुबंध मार्च माह तक था तो उसे जून 2020 तक भुगतान किस मद से किया गया? साथ ही यदि महिला कर्मी का अनुबंध मार्च में समाप्त हो गया था तो विद्यालय प्रबंधन अबतक उसे इसकी लिखित सूचना क्यों नहीं दी है? क्या अब भी राज्य के मुख्यमंत्री व् महिला आयोग किसी जांच और पीड़िता के न्याय की सोंच नहीं रखते है।
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