सुहाग का पर्व है हरतालिका तीज व्रत-धीरज पांडेय
प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। बिहार के सारण जिले में 6 सितंबर को पूरी निष्ठा से सुहागिन स्त्रियों ने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निर्जला हर तालिका तीज व्रत रखते हुए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की और अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मांगा।
इस अवसर पर सारण जिला के हद में सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध बाबा हरिहरनाथ सहित विभिन्न मठ-मंदिरों में भी व्रतियों ने पूरी श्रद्धा, विश्वास और विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना किया और कथा श्रवण किया। राहर दियारा बैलहट्टा चौक स्थित दुखहरणी मंदिर के पुजारी पंडित धीरज पांडेय ने कहा कि हरतालिका तीज सुहाग का पर्व है।
उन्होंने कहा कि शास्त्रों में इसके बारे में कहा गया है कि भाद्र मास में जब शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आती है, तब उस दिन हरतालिका तीज का व्रत रखने से सुहाग और सौभाग्य के लिए बेहद शुभ होता है। इस व्रत के विषय में शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि तृतीया के साथ चतुर्थी तिथि का संयोग होने पर हरतालिका तीज का व्रत रखना ज्यादा उत्तम होता है।
व्रती महिलाओं ने इस अवसर पर सुबह-सुबह भगवान शिवजी और देवी पार्वती की पूजा करने के बाद व्रत का संकल्प लिया और फिर निर्जल रहते हुए दिन-रात व्रत का पालन किया। व्रतियों ने प्रदोष काल में यानी शाम के समय भी शिव-पार्वती की पूजा की और कथा का पाठ व् श्रवण किया। व्रती महिलाओं ने पानी तक नहीं पिया और रात भर जागरण किया।
पंडित पांडेय ने हरतालिका व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि ऐसी कथा है कि एक बार देवी पार्वती अपनी सखियों के साथ वन में शिवलिंग बनाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए व्रत करने चली गईं। उस समय महल में देवी पार्वती को न पाकर पिता हिमालय ने उनकी तलाश शुरु की। लेकिन देवी पार्वती का कहीं पता नहीं चला। ऐसे में पर्वत राज हिमालय को लगा कि देवी पार्वती का हरण हो गया है।
बाद में भगवान शिव से वरदान पाने के बाद हिमालय राज ने देवी पार्वती को ढूंढ लिया। जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी। उस समय से ही हरतालिका व्रत का आरंभ हुआ। उन्होंने कहा कि जो सुहागन महिला इस व्रत को रखती हैं उनको सौभाग्य प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याओं को व्रत मनोनुकूल वर प्रदान करता है।
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