पर्युषण पर्व की द्वितीय दिवस की स्वर्णिम प्रभात की कामना

एस.पी.सक्सेना/गिरिडीह (झारखंड)। श्री जैन श्वेतांबर सोसायटी के तत्वावधान में सम्मेत शिखरजी महातीर्थ के परिसर में पर्युषण पर्वाधिराज की द्वितीय दिवस की स्वर्णिम प्रभात की कामना की गयी।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में झारखंड (Jharkhand) के विभिन्न जिलों के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के कोलकाता से श्रद्धालुगण ने भाग लिया। उक्त जानकारी 4 सितंबर को जैन श्वेतांबर संघ के हरीष दोशी उर्फ राजू भाई ने दी।

उन्होंने बताया कि अप्रतिम आराधना के दौरान डी. साध्वी प्रियवंदनाश्री ने अपने संबोधन में बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण का मंगल पदार्पण हमारे जीवन का नया क्षितिज अध्यात्म श्रृंखला को उद्घाटित करने में समर्थ है।

साध्वीश्री के अनुसार भव अटवी में भटके हुए व्यक्ति को सच्ची राह बताने वाला पर्व यदि है तो वह पर्युषण पर्व है, जो हमारी पथ प्रदर्शक है। पर्वाधिराज हमारी चेतना को जगाने आया है। सुसुप्त आत्मा के पर्याय बगियों को पल्लवित करने आया है।

आत्मा की विशुद्धि करने आया है। हमारे पापों को धोने आया है। कर्म निर्जरा का थाल सजाकर संवर की साधना का अनुष्ठान करने आया है।

वार्षिक कर्तव्य संघयात्रादि पर प्रकाश डालते हुए साध्वी डॉ प्रियलताश्री (Doctor Priyaltasree) ने अपने संबोधन में 12 प्रभु भक्ति कर्तव्य, 3 साधार्मिक वात्सल्य, 23 क्षमापना, 5 अॅट्ठम तपादि पर विस्तृत जानकारी दी। जिसमें पेथडशा मंत्री, पुण्य श्रावक, सवा सोमाभाई का उदाहरण के माध्यम से साधर्मिक भक्ति अनूठी भावना की विवेचना की।

उन्होंने कहा कि पर्युषण पूर्व के दौरान साधक ज्ञान, ध्यान, तप, त्याग, साधना, उपासना करें। श्रीमान सम्मपतराजजी सुशिल भैया बेंगानी ने कल्पसूत्र की बोली ली। यहां 4 सितंबर की रात्री में कल्प सूत्र की भक्ति की गयी। जिसमें संगीतकार विजयभाई इन्दोरखाले ने जमकर धूम मचाया।

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