मुंबई में राष्ट्रीय मानवाधिकार का दो दिवसीय शिविर

महाराष्ट्र के लंबित मामलों पर होगी सुनवाई

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। महाराष्ट्र राज्य से कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन के लंबित मामलों की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के दो दिवसीय शिविर का उद्घघाटन मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस में संपन्न हुआ।

बुधवार को हुए उद्घघाटन समारोह में एनएचआरसी के सदस्य डॉ. डी. एम. मुले, राजीव जैन के अलावा राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों और महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

इस अवसर पर डॉ. डी. एम. मुले ने कहा कि इस शिविर की बैठक एक अनूठी अवधारणा है जिसने देश के बाईस राज्यों को सफलतापूर्वक कवर किया है। इस शिविर के जरिए लोगों के घर-द्वार पर आने और उनसे आमने-सामने बातचीत करने का अवसर देती है। इस पहल पर उनहोंने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि इस तरह की बैठकें NHRC को राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य सरकार के साथ जुड़ने की अनुमति भी देती हैं। यह NHRC को मानवाधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा विकसित सर्वोत्तम प्रथाओं को समझने में सक्षम बनाता है। नागरिकों में जागरूकता पैदा करना मानवाधिकारों के संरक्षण का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

डॉ. डी. एम. मुले ने कहा कि आयोग को हर साल लगभग एक लाख शिकायतें मिलती हैं जिनमें से अस्सी हजार का सफलतापूर्वक समाधान किया जाता है। आयोग ने अब भौतिक रूप से जमा करने के अलावा शिकायतों और दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करने को भी सक्षम कर दिया है। उनहोंने कहा कि यह सस्था मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ लड़ने में आपकी मदद कैसे कर सकता है।

वहीं उद्घघाटन भाषण में, राजीव जैन, ने विभिन्न सुझाव दिए जिन्हें राज्य सरकारों द्वारा मानवाधिकारों की सुरक्षा में सुधार के लिए लागू किया जा सकता है। न्यायिक हिरासत में हुई मौतों के लिए मुआवजा, मानवाधिकार प्रकोष्ठ का निर्माण, नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम का कार्यान्वयन और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में सुधार उनमें से कुछ थे। मानवाधिकारों के उल्लंघन के लंबित मामलों की सुनवाई की।

मामले बिजली विभाग की लापरवाही से मौत, सेवानिवृत्ति लाभ से इनकार, नागपुर सेंट्रल जेल में अनियमितता, ‘कोली’ समुदाय के लोगों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कथित लापरवाही, एक इमारत गिरने से ग्यारह लोगों की मौत से संबंधित हैं, बंधुआ मजदूरी की घटनाएं जिनमें बाल मजदूर और अन्य शामिल हैं।

 119 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *