प्रबंधन द्वारा ओबी गिराये जाने से हजारों वृक्ष जमींदोज

हरे भरे पेड़ों को सीसीएल दफन करने पर आमादा

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। वाह रे सीसीएल प्रबंधन, जिसे न तो मानव जीवन की रक्षा की चिंता है और ना ही पर्यावरण संरक्षण की फिक्र। शायद इसी कारण आज कोलियरी क्षेत्रों तथा उसके आसपास रहने वाले लाखों रहिवासी एक तो भीषण प्रदुषण की चपेट में है। दुसरे प्रबंधन द्वारा केवल मुनाफा कमाने के उद्देश्य से वृक्षो के उपर अधिभार (ओबी) डाले जाने से पर्यावरण का क्षरण बेतरतीब हो रहा है। यह घोर चिंता का विषय है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बोकारो जिला के हद में सीसीएल कथारा क्षेत्र के जारंगडीह परियोजना पुरे कंपनी स्तर पर उपरोक्त मामले में अग्रणी भूमिका निभा रही है। यह खुली आंखो देखा जा सकता है।

बताया जाता है कि जारंगडीह परियोजना खुली खदान से आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा पूर्व में केबी कॉलेज से लेकर बोड़िया बस्ती के समीप ओबी गिरा कर सैकड़ों वृक्षों को जमींदोज कर दिया गया। इस दौरान पर्यावरण विदो तथा वन विभाग के हस्तक्षेप के बाद स्थानीय प्रबंधन द्वारा नये विकल्प तलाश लिया गया।

खेतको मार्ग के समीप हजारों वृक्षों के उपर अब अधिभार (ओबी) जिसमे पत्थर, मिट्टी, चूर्ण आदि डालकर वृक्षो को दफन किया जा रहा है। उपरोक्त दृश्य एक बानगी मात्र है। यदि वन विभाग और पर्यावरण विभाग संयुक्त रुप से इस मामले की जांच करे तो पर्यावरण को मुंह चिढ़ाता कई और तथ्यों का खुलासा संभव है।

इस संबंध में क्षेत्र के एक वरीय अधिकारी ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया कि उक्त ओबी डम्पिंग से यह माना जा सकता है कि इससे पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो सकता है। बावजूद इसके उक्त अधिकारी ने बताया कि सीसीएल द्वारा वन विभाग को प्रभावित वृक्षों के एवज में दस गुणा भुगतान किया जा चुका है।

यदि यह सच है तो सवाल उठता है कि वन विभाग को यह अधिकार किस न्यायालय अथवा केंद्रीय व् राज्य पोषित एजेंसी से प्राप्त हुआ की वह मानव जीवन से ही खिलवाड़ करने पर आमादा हो जाये।
बहरहाल, इस विस्फोटक स्थिति का सामना वर्तमान में कथारा, जारंगडीह सहित आसपास के लगभग दर्जन भर गांवो के हजारों रहिवासियों को करना पड़ रहा है।

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