नौ दिवसीय महायज्ञ के छठे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने की यज्ञ मंडप की परिक्रमा

रामलीला मंचन व प्रवचन से बढ़ी भक्तों की भीड़

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। वैशाली जिला के हद में बिदुपुर प्रखंड के मनियारपुर गांव में आयोजित नौ दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ के छठे दिन 27 मार्च को हजारों की संख्या में भक्तों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की।

इस अवसर पर भागवत कथा पर अपने प्रवचन में वृंदावन की कथा वाचिका ममता शास्त्री ने कहा की भागवत कथा आमजनों को तथा समाज को, सेवा, भक्ति, सुसंस्कार को घर- घर पहुंचा कर उन्हे अपने सनातन धर्म से जोड़ने का काम करती है। विभ्रम एवं भ्रांतियों को दूर करती है। समाज में एकता पैदा करती है।

उन्होंने भागवत कथा के क्रम में समुद्र मंथन, कृष्ण जन्मोत्सव का सांगोपांग वर्णन किया। इस दौरान आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की, नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की भजन गायन एवं जयकारे से संपूर्ण प्रवचन पंडाल गूंज उठा।

प्रवचन में उन्होंने कहा कि मानव स्वर्ग और नरक का दरवाजा स्वयं खोलता है, क्योंकि परम पिता परमात्मा ने कर्म रूपी चाभी मानव के हाथ में ही दे रखी है। अच्छे कर्म से स्वर्ग और बुरे कर्मो से नर्क का द्वार खुलता है। संसार रूपी सागर से पार होने के लिए राम का नाम लेना जरूरी है। राम नाम के नौका पर सवार होकर व्यक्ति भवसागर को पार कर सकता है।

इस अवसर पर अपने प्रवचन में आचार्य प्रवीण दुबे ने कहा कि यज्ञ कुंड से निकलते धुंए से वातावरण एवं वायुमंडल प्रदूषण मुक्त होता है। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार और भक्ति संगीत की ध्वनि से श्रद्धालुओं का मन और हृदय आनंदित और प्रफुल्लित हो उठा।

हरि के नाम में इतनी शक्ति है कि अजमिल जैसा महापापी भी हरि के नाम का जप कर तर गया। कोई भी जन्म से बड़ा नही होता। भक्ति के लिए जरूरी नहीं है कि हमारा जन्म उच्च वर्ग या कुल में हो। प्रहलाद का जन्म तो राक्षस कुल में हुआ था, परंतु प्रहलाद भगवान के नाम का जप करना नहीं छोड़ा।

जिस कारण श्रीहरि को खंभे से प्रकट होकर भक्तराज प्रह्लाद की रक्षा एवं राक्षस राज हिरण्याक्ष का वध करना पड़ा। उपरोक्त बातें श्रीविष्णु महायज्ञ में प्रवचन करते हुए वृंदावन की भागवत कथा मर्मज्ञ ममता शास्त्री ने कही।उन्होंने कहा कि राम से बड़ा राम का नाम है।

श्रीराम का नाम जप करने से लाखो भक्त कलयुग में सांसारिक सागर को पार कर गए। उन्होंने कहा कि भगवान के नाम का जप करने के कारण ही प्रह्लाद को काफी कष्ट सहना पड़ा। उसके बाद भी प्रह्लाद भगवान के नाम का जप करते रह गए। अंत में भगवान खंभे में प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि इंसान भक्ति पर विश्वास करे तो परमात्मा उसे हर कदम पर साथ देते है। इसलिए इंसान को भगवत भजन करनी चाहिए।

इस यज्ञ के संरक्षक श्रीश्री 108 संत शिरोमणि केशव दास उर्फ कमल बाबा, संयोजक गणेश सिंह, पैक्स अध्यक्ष दिनेश सिंह, राधेश्याम तिवारी,पूर्व मुखिया, अशर्फी राय आदि काफी सक्रिय होकर यज्ञ को सफल बनाने को लेकर काफी मुस्तैद दिखे।

सांध्यकालीन बेला में रामलीला का मंचन

श्रीविष्णु महायज्ञ के संध्याकालीन बेला में रामलीला का मंचन किया गया, जिसमें विश्वामित्र ऋषि के साथ श्रीराम, लक्ष्मण का जनकपुर पहुंचना, जनकपुर में आगंतुक राजाओं से धनुष का नही टूटना, राजा जनक का दुखी होना, आदि।

गुरु विश्वामित्र के आशीर्वाद से राम के द्वारा धनुष का खंडन करना, परशुराम का आगमन, परशुराम का राम व लक्ष्मण पर क्रोधित होना और फिर उन्हें हरि के रुप मे अवतार की पहचान करने के उपरांत प्रणाम कर तपस्या के लिए चले जाना, राम सीता का विवाह प्रसंग काफी रोचक और प्रभावी रहा। दर्शक देख कर भाव विभोर हो उठे।

रामलीला का मंचन नरेंद्र महाराज के नेतृत्व में संपन्न हुआ। यज्ञ के प्रातः कालीन बेला में यज्ञ मंडप में आचार्य पंडित प्रवीण दुबे के मुखारविंद से वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण से गुंजायमान हो गया।

उन्होंने कहा कि यज्ञ से सनातन धर्म की रक्षा होती है।यज्ञ में वसुंधरा के श्रृंगार के जप में जितने भी जीव जंतु है, सबों के कल्याण की भावना निहित होती है।यज्ञ मंडप के चारो कोण पर विधि विधान के साथ पूजन कराए गए।

यज्ञ स्थल पर एक सौ पांच देवी देवताओं के विभिन्न रूपों में मूर्तिया स्थापित की गई है। खासकर श्रवन कुमार द्वारा बहंगी में माता पिता को ले जाने, राजा हरिश्चंद्र द्वारा घाट पर पुत्र के शव के दफन के लिए पत्नी से राशि मांगना आदि मार्मिक प्रसंग ने दर्शकों के दिल को छू लिया।

 87 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *