देश में तेजी से बढ़ रहा है आयुर्वेद का प्रचलन

बिना साइड इफेक्ट के रहें स्वस्थ्य, सुडौल और स्मार्ट

मुश्ताक खान /मुंबई। आधुनिकता के इस दौर में सभी को सुंदर, सुडौल और स्मार्ट दिखने कि तमन्ना रहती है। लेकिन कोई स्वस्थ्य के कारण तो कोई उम्र की वजह से चाहते हुए भी खुद को सुंदर, सुडौल और स्मार्ट रखने में असफल है। इसके कई कारण हैं, हालांकि खुद को सजाने संवारने के लिए बाजार में तरह -तरह के उपचार उपलब्ध हैं। लेकिन ऐसी चाहत रखने वालों को साईड इफेक्ट का भी खौफ होता है।

चूंकि अंग्रेजी दवाइयां तेजी से अपना काम करती हैं, वहीं उसके दुष्परिणाम भी जल्द ही दिखाई देते हैं। अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में देश के लगभग 29 से 32 फीसदी लोगों का रूझान अब भी आयुर्वेद की तरफ है। जबकि बड़ी संख्या में लोगों की पसंद योगा, यूनानी, सिद्धा और होमियोपैथ भी है।

स्मार्ट लोगों की पसंद के मद्देनजर सायन हॉस्पिटल से सटे अल्ट्रा स्लिम क्लिनीक है। यहां लोगों का इलाज आयुर्वेदिक पद्धती से किया जाता है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा मानीत इस क्लीनिक में लगभग हर तरह का इलाज संभव है। आधुनिकता के इस दौर में खुद को सुंदर, सुडौल और स्मार्ट रखने में असफल लोगों के लिए अच्छी बात यह है कि अल्ट्रा स्लिम क्लिनिकउनके शहर में है।

इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है कि इस क्लिनिक की प्रमुख डॉ. सुरजीत कौर बावा खुद आयुर्वेद से एमडी हैं। उन्होंने स्कीन (त्वचा) से लेकर शरीर के लगभग सभी अंगों की सकारात्मक व नकारात्मक पहलुओं पर विशेष अध्यन किया है। यही कारण है की डॉ. सुरजीत कौर बावा आयुर्वेदिक पद्धत्ती से इलाज करने के मामले में एक के बाद एक लोकप्रियता हासिल करती जा रहीं हैं। डॉ. सुरजीत कौर में यह विशेषता है की मरीजों का इलाज करने के बाद उन्हें स्मार्ट बनाने पर ध्यान देती है।

इस मुद्दे पर फोर्टिस हॉस्पिटल, कैंसर विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल हेरूर ने बताया की एलोपैथ, आयुर्वेद , होमियोपैथ, यूनानी, सिद्धा और योगा आदि सभी की अपनी-अपनी विशोषताएं हैं। उन्होंने कहा की हाल ही में हम लोगों ने आयुर्वेद के डॉक्टरों के साथ संयुक्त रूप से कैंसर के इलाज पर अध्यन किया है। उन्होंने कहा की आयुर्वेद में थोड़ा समय लगता है लेकिन बीमारियों को जड़ से निकाल देता है। डॉ. अनिल हेरूर ने कहा कि देश में जो भी प्रमाणित पद्धती है वो कारगर है।

हालांकि मौजूदा समय में आयुर्वेद एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली मानी जाती है, जिसकी जड़े भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। भारत और नेपाल में आयुर्वेद का अत्यधिक प्रचलन है, जहाँ लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या इसका उपयोग करती है। आयुर्वेद कई बिमारियों के इलाज के लिए कारगर है। ग्रंथो के अनुसार आयुर्वेद देवताओं कि चिकित्सा पद्धति है जिसके ज्ञान को मानव कल्याण के लिए निवेदन के लिए देवताओं द्वारा धरती के महान आचार्यों को दिया गया है ।

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