सरकार ने पहल की हमारे जीवन में पैदा होने वाले कचरे से संपत्ति

वैकल्पिक ईंधन किफायती दरों पर उपलब्ध कराएं लोगों -नितिन गडकरी

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आग्रह किया है कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए लागत प्रभावी ईंधन की खोज और उपयोग करना अनिवार्य है, जो आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी है।

गुरुवार को मुंबई में ‘ग्रीन हाइड्रोजन कॉन्क्लेव’ GH2 का उद्घघाटन के दौरान यह बात मंत्री ने कही। उनहोंने बताया कि बायो-सीएनजी और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधन न केवल प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होते हैं, बल्कि ईंधन की लागत में भी काफी कमी होती है।

हरित हाइड्रोजन के लिए भारत की क्षमता 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। इस लिए सभी हितधारकों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को लागत प्रभावी दरों पर ये ईंधन उपलब्ध कराएं और इन ईंधनों के उपयोग की आवश्यकता के बारे में आम नागरिकों में जागरूकता पैदा करें।

चूंकि इसकी लागत अधिक है तो ग्रीन हाइड्रोजन उपयोगी नहीं होगा और हितधारकों से दरों को कम रखने पर ध्यान देने का आग्रह किया। इस संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार ने हमारे जीवन में पैदा होने वाले कचरे से संपत्ति बनाने की पहल की है।

केंद्रीय मंत्री ने हितधारकों से किया अपील

केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने कहा कि देश अब दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें से एक लाखों करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन के आयात से संबंधित है, जो देश के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। दूसरी चुनौती प्रदूषण पर लगाम लगाने से जुड़ी है।

उन्होंने कहा कि हम विशेष रूप से मेट्रो शहरों में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जो कि चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ही नहीं, दुनिया में हर जगह लोग डीकार्बोनाइजेशन की बात कर रहे हैं, जो कि जलवायु परिवर्तन के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

हमारा सपना भारत को ऊर्जा का निर्यातक बनाना

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि लागत प्रभावी, प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल स्वदेशी का अधिक से अधिक उत्पादन होने पर आत्मनिर्भर भारत और पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना जल्द से जल्द साकार होगा। उत्पाद जो आयात का विकल्प प्रदान करते हैं और देश में सभी प्रकार के प्रदूषण को कम करते हैं।

उन्होंने कहा, “हमारा सपना भारत को ऊर्जा का निर्यातक बनाना है।” जैसे हम थर्मल पावर, हाइड्रो पावर और पवन ऊर्जा पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं, वहीं हमें परमाणु ऊर्जा पर भी ध्यान देना होगा, जो शून्य-उत्सर्जन स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है। उन्होंने कहा कि कृषि और ऊर्जा क्षेत्र समय की मांग हैं।

केंद्रीय मंत्री ने आग्रह किया कि कृषि को प्रमाणित प्रौद्योगिकी और बिजली क्षेत्र से जोड़कर कई रोजगार सृजित किया जा सकता है। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में रवींद्र बोराटकर, अध्यक्ष, महाराष्ट्र आर्थिक विकास परिषद, एरिक सोलहेम, हरित राजनीतिज्ञ, Arne Jan Flolo, महावाणिज्यदूत, आदि।

मुंबई में रॉयल नॉर्वेजियन महावाणिज्य दूतावास, अचिम फैबिग, महावाणिज्य दूत, जर्मनी डॉ.यसूक्ता फुकाहरी, महावाणिज्यदूत, जापान; मनीष पांचाल, इवेंट चेयर, GH2 कॉन्क्लेव; और शार्दुल कुलकर्णी, नॉलेज चेयर, GH2 कॉन्क्लेव, केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस आयोजन का समर्थन किया।

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