आंदोलन का असर:स्क्रैपर कंपनी के प्रतिनिधि पहुंचे प्लांट, की वार्ता

रैयत वर्कर अपनी मांगों को लेकर अड़े, वार्ता विफल

मामला अभिजीत ग्रुप पावर प्लांट का स्क्रैप से जुड़ा

एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड के चकला स्थित अभिजीत ग्रुप पावर प्लांट में एक सप्ताह से चल रहे आंदोलन का असर बीते 15 अक्टूबर को देखने को मिला। स्क्रैपर कंपनी के प्रतिनिधि राना चकला प्लांट पहुंचकर रैयत वर्करों से वार्ता की। करीब दो घंटे तक चली वार्ता विफल हो गया।

वार्ता के क्रम में रैयत वर्कर अपनी सभी बकाए पैसे का एक मुस्त भुगतान करने और प्रत्येक माह दो हजार रुपए की बढ़ोत्तरी करने, एपीएफ के साथ प्रत्येक माह वेतन देने की मांग स्क्रैपर कंपनी के प्रतिनिधि राना के समक्ष रखा। इसपर स्क्रैपर कंपनी के प्रतिनिधि राना ने बकाए पैसे का बीस प्रतिशत ही भुगतान करने व काम चलने तक प्रत्येक माह एक हजार रुपए की बढ़ोत्तरी करने की बात कही।

उक्त जानकारी देते हुए समाजसेवी एवं कामता पंचायत के पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने बताया कि स्क्रैपर कंपनी के प्रतिनिधि राना की इस आश्वासन को रैयत वर्कर नहीं मानें और अपनी मांगों पर रैयत वर्कर अड़ गए। इससे वार्ता विफल हो गई है। उन्होंने बताया कि अब रैयत वर्कर आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।

ज्ञात हो कि, स्क्रैपर कंपनी चकला प्लांट से स्क्रैप निकालने के लिए झाड़ी पेंड़ की कटाई करवा रही थी। स्क्रैपर कंपनी का कहना था कि स्क्रैप निकालने के लिए कोर्ट से आदेश लिए हैं, लेकिन कोर्ट का आदेश मांगे जाने पर स्क्रैपर कंपनी, रैयत वर्करों को कोर्ट का आदेश दिखा नहीं रही है।

रैयत वर्कर करीब एक सप्ताह से अपनी बकाए पैसे व अन्य मांगों को लेकर स्क्रैपर कंपनी से वार्ता करने की मांग कर रहे थे। इसको लेकर रैयत वर्कर लगातार आंदोलन पर थे। इसे लेकर प्रोजेक्ट हेड बीसी साहू को ज्ञापन भी दिया गया था। रैयत वर्करों ने एक बार प्लांट का काम बंद कराया। दुसरे दिन फिर काम चालू हो गया।

इसके बाद पुनः सैंकड़ों की संख्या में रैयत वर्कर ने बीते 14 अक्टूबर को प्लांट पहुंचकर काम बंद करा दिया। जेसीबी और हैड्रा मशीन को प्लांट से बाहर कर प्रोजेक्ट हेड से मिलकर रैयत वर्कर ने कहा था कि स्क्रैपर कंपनी से वार्ता होने तक काम को बंद रखा जाय। इसके बाद स्क्रैपर कंपनी के प्रतिनिधि राना ने रैयत वर्कर से वार्ता किया जो बेनतीजा समाप्त हो गया है।

इधर रैयत वर्कर कहते हैं कि स्क्रैपर कंपनी कहीं न कहीं गलत है, इस लिए कोर्ट का आदेश नहीं दिखा रही है। बड़ी गड़बड़ झाला है, जिसे स्कैपर कंपनी छिपाना चाहती है और स्क्रैप का घपला करने की उनकी मंशा है।

झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य दीपू कुमार सिन्हा, कांग्रेस के चंदवा प्रखंड अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद प्रतिनिधि असगर खान, माकपा नेता सह सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान कहते हैं कि स्क्रैपर कंपनी की ओर से यह कहा जा रहा है कि स्क्रैप निकालने की कोर्ट का आदेश है लेकिन स्क्रैपर कंपनी की इन बातों पर रैयत वर्कर को विश्वास नहीं हो रहा है।

स्क्रैपर कंपनी के खिलाफ, कोर्ट के आदेश दिखाने के लिए व अपनी मांगों को लेकर रैयत वर्कर बैठक व सभा कर रहे हैं। ऐसे में प्लांट से स्क्रैप निकालने के लिए कोर्ट के आदेश को लेकर रैयत वर्करों के बीच उपजे भ्रम संदेह को दुर करने के लिए प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए। ताकि रैयत वर्कर को पता चल सके कि कोर्ट के आदेश मामले में सच्चाई क्या है।

कोर्ट का आदेश है या यह सेटिंग गेटिंग है। यह अबतक साफ नहीं हो पाया है। यह भ्रम संदेह स्क्रैपर कंपनी के द्वारा कोर्ट के आदेश को रैयत वर्करों को नहीं दिखाए जाने पर उत्पन्न हुआ है।
कहा गया कि रैयत और वर्कर को अपने ही हाल पर छोड़ दिया गया है। हालत यह है कि जान और जमीन देने वाले रैयत वर्कर को ही डराया धमकाया जा रहा है।

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